बॉलीवुड में कई सितारों की जिंदगी किसी मिस्ट्री से कम नहीं रही है। कई सितारे ऐसे भी रहे जिन्होंने खूब शोहरत कमाई, बड़ा नाम किया और सफलता के बाद भी उनका अंत किसी दुखद फिल्म से कम नहीं था। ऐसा ही एक नाम एक्ट्रेस सईदा खान का। 24 अक्टूबर 1949 को सईदा का जन्म एक मुस्लिम परिवार में हुआ। छोटी उम्र में ही उन्होंने बड़ी हीरोइन बनने के सपना देख लिया था। फिल्म निर्माता एचएच रवैल फिल्मी दुनिया में के उनके आने के लिए पहली सीढ़ी बने। किशोर कुमार के साथ 'अपना हाथ जगन्नाथ' और मनोज कुमार के साथ 'कांच की गुड़िया' जैसी सफल फिल्में कर के सईदा हिट एक्ट्रेस कहलाने लगीं। एक के बाद एक फेमस अभिनेताओं के साथ उन्हें काम मिलने लगा और उनका करियर पटरी पर आ गया।
जिससे किया प्यार उसी ने उतारा मौत के घाट
जैसे-जैसे समय बीतता गया सईदा की प्रसिद्धि कम होने लगी। धीरे-धीरे उन्हें काम मिलना भी कम हो गया। इसके बाद उन्हें जीवन चलाने के लिए बी-ग्रेड फिल्मों का सहारा लेना पड़ा। एक ओर करियर की दिशा बिगड़ी तो दूसरी ओर एक्ट्रेस को निर्देशक-निर्माता ब्रिज सदाना से प्यार हो गया जिसके बाद दोनों ने शादी कर ली और उनके दो बच्चे हुए। एक बेटी जिसका नाम नम्रता था और एक बेटा जिसका नाम कमल सदाना। कमल सदाना कई बॉलीवुड फिल्मों में भी दिखाई दिए। 21 अक्टूबर 1990 को सईदा अपने बेटे कमल के 20वें जन्मदिन की तैयारी कर रही थी, तभी नशे में धुत कमल के पिता यानी सईदा के पति अंदर आए और उन्होंने सईदा और उनकी बेटी नम्रता की गोली मारकर हत्या कर दी और कमल को भी गोली मार दी। हत्याओं के बाद उसने खुद भी अपनी जान ले ली। इस पूरी घटना में सिर्फ कमल ही बचे।
एक पल में बिखर गया पूरा परिवार
हाल में सिद्धार्थ कनन को दिए एक इंटरव्यू में कमल ने याद किया कि वह अपनी मां और बहन को अस्पताल ले गए थे, उस दौरान उन्हें भी गोली लगी थी और उन्हें अहसास ही नहीं हुआ कि उन्हें भी गोली लगी है। डॉक्टरों ने उनकी शर्ट पर लगे खून के बारे में सवाल किया तो उन्हें लगा कि ये उनकी मां और बहन का है। मां और बहन को बचाने की कोशिश में एक्टर को ये सुध ही नहीं रही कि वो भी घायल हो गए हैं। इस घटना के बाद उनकी सर्जरी हुई और जब वो घर लौटे तो पता चला कि उनका पूरा परिवार बिखर गया। उन्होंने अपने चहेतों को खो दिया था।
बेटे ने बताया कैसी थी हालत
कमल सदाना ने कहा, 'मुझे भी गोली लगी थी, मेरी गर्दन के एक तरफ से घुसकर दूसरी तरफ से निकल गई थी, पर मैं बच गया। मेरे बचने का कोई तार्किक कारण नहीं है। ऐसा लगता है कि गोली हर नस को चकमा देकर दूसरी तरफ से निकल गई। मैं अपनी मां और बहन को अस्पताल ले गया, जब वे खून से लथपथ थीं और उस समय मुझे अहसास नहीं हुआ कि मुझे भी गोली लगी है। अस्पताल में पर्याप्त बेड नहीं थे, इसलिए मेरा दोस्त मुझे दूसरे अस्पताल ले गया। मैंने डॉक्टर से बस इतना कहा कि आप मेरी मां और बहन को जीवित रखें। मैं अपने पिता की भी जांच करने की कोशिश कर रहा था। जब मैं सर्जरी के बाद उठा तो वे मुझे घर ले गए और मैंने देखा कि मेरा पूरा परिवार मेरी आंखों के सामने मृत पड़ा था।