सामंथा रुथ प्रभु इन दिनों अपने वेब शो 'सिटाडेल: हनी बनी' में अपनी परफॉर्मेंस के लिए तारीफें बटोर रही हैं। सामंथा अपनी फिल्मों और सीरीज के अलावा लगातार अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर भी चर्चा में रही हैं। सामंथा 2021 में नागा चैतन्य से शादी के चार साल बाद अलग हो गई थीं। अब सामंथा ने तीन साल पहले नागा चैतन्य के साथ तलाक के बाद की ट्रोलिंग के बारे में खुलकर बात की। इसी के साथ उन्होंने अपनी वेडिंग ड्रेस को री-डिजाइन कराने और उसे व्हाइट से ब्लैक ड्रेस में तब्दील कराने के बाद की ट्रोलिंग के बारे में भी बताया।
तलाक के बाद महिलाओं को उठानी पड़ती है शर्मिंदगी- सामंथा
गलाट्टा इंडिया के साथ बातचीत में सामंथा ने कहा- ''दुर्भाग्य से, हम एक ऐसे समाज में रहते हैं जो पूरी तरह से पितृसत्तात्मक है। यहां कभी भी कुछ गलत होता है तो एक महिला को इसका शिकार होना पड़ता है। एक महिला को बहुत अधिक आलोचना और बहुत अधिक शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है, न केवल ऑनलाइन, बल्कि वास्तविक जीवन में भी।''
तलाक के बाद सामंथा की जिंदगी
तलाक लेने के बाद अपने जीवन के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, ''जब एक महिला तलाक से गुजरती है, तो उसके साथ शर्म और कलंक जुड़ जाता है। मुझे 'सेकंड हैंड', 'यूज्ड' और 'वेस्टेड लाइफ' जैसे बहुत सारे टैग मिले। आपको एक ऐसे कोने में धकेल दिया जाता है, जहां आपको ऐसा महसूस होने लगता है कि आप असफल हैं, क्योंकि एक समय आपकी शादी हुई थी और अब आपकी शादी टूट गई है। और मेरा मानना है कि यह उन परिवारों और लड़कियों के लिए वास्तव में कठिन हो सकता है जो इससे गुजर चुके हैं।''
क्यों री-डिजाइन कराया वेडिंग गाउन?
नागा चैतन्य से अलग होने के बाद अपने वेडिंग गाउन को री-डिजाइन कराने के बारे में बात करते हुए सामंथा ने कहा- ''मैंने अपने वेडिंग गाउन को दोबारा क्यों डिजाइन किया, इसका कारण यह था कि - शुरुआत में, यह बहुत दुखदायी था। मैंने इसे पलटने का फैसला किया। मैंने इसका मालिक बनने का फैसला किया। मैं अलग हो गई हूं, मेरा तलाक हो गया है। चीजें फेयरी टेल जैसी नहीं रहीं। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि मैं एक कोने में बैठ जाऊं, इसके बारे में रोऊं और फिर कभी जीने की हिम्मत न जुटाऊं। यह किसी तरह का बदला या कुछ और नहीं था। यह वास्तव में कोई बहुत बड़ा इशारा नहीं था। वो ये था- हां ऐसा हुआ है। मैं यह जानती हूं और मैं इससे छिप नहीं सकती। इसका मतलब यह नहीं है कि मेरी जिंदगी यहीं खत्म हो जाती है। 'यह वहीं से शुरू होता है जहां यह समाप्त होता है।''