Highlights
- सैफ अली खान फेमस क्रिकेटर मंसूर अली खान और दिग्गज अभिनेत्री शर्मिला टैगोर के बेटे हैं।
- सैफ अली खान दिखने में भले ही नवाब हैं लेकिन उनका दिल बिलकुल अपनी मां पर गया है।
Saif Ali Khan: साल 2007 की बात है, फिल्मफेयर अवॉर्ड शो की शाम बॉलीवुड के जाने-माने सितारों से सजी हुई थी। उसी बीच बैठे थे अभिनेता सैफ अली खान जिनके चेहरे पर संतोष की भावना नजर आ रही थी, लेकिन वो इतने शांत क्यों बैठे थे। इस साल तो उन्हें बेस्ट एक्टर फिल्मफेयर अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट भी नहीं किया गया था। नवाब के खानदान में जन्में सैफ अली खान फेमस क्रिकेटर मंसूर अली खान और दिग्गज अभिनेत्री शर्मिला टैगोर के बेटे हैं। सैफ अली खान दिखने में भले ही नवाब हैं लेकिन उनका दिल बिलकुल अपनी मां पर गया है। शायद इसलिए उन्होंने क्रिकेटर नहीं बल्कि एक्टर बनने का सपना देखा।
फ्लॉप फिल्मों से हुई थी शुरुआत
साल 1993 में अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत करने वाले सैफ अली खान की पहली फिल्म ‘परमरा’ सुपर फ्लॉप रही थी। इसके बाद उन्होंने इसी साल दो अन्य फिल्म ‘आशिक आवारा’ और 'पहचान' में काम किया, लेकिन बदकिस्मती से ये फिल्में भी न चल सकी।
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सपोर्टिंग रोल में करना पड़ा था काम
इसके बाद सैफ अली खान को अक्षय कुमार के साथ ‘मैं खिलाड़ी तू अनारी’ करने का मौका मिला। हालांकि इस फिल्म में पूरी लाइम लाइट अक्षय ले गए और सैफ सपोर्टिंग एक्टर के तौर पर नजर आए। इसके बाद सैफ ने सुनील शेट्टी और अक्षय कुमार के साथ लगातार कई फिल्में की, लेकिन ऑडियंस ने सैफ अली खान की तरफ देखना जरूरी भी नहीं समझा।
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इन दो कलाकारों के साथ काम करने के बाद सैफ अली खान को साल 1999 में फिल्म ‘कच्चे धागे’ में अभिनय करने का मौका मिला। ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कामयाब रही, लेकिन फिल्म का सारा क्रेडिट अभिनेता अजय देवगन ले गए और एक बार फिर सैफ अली खान सपोर्टिंग रोल में नजर आए।
इसी साल फिल्म ‘हम साथ साथ हैं’ भी रिलीज हुई। इस फिल्म में सैफ को पसंद तो किया गया लेकिन एक कॉमेडियन एक्टर के तौर पर। वहीं 2001 की सुपरहिट फिल्म ‘दिल चाहता है’ में सैफ अली खान, आमिर खान और अक्षय खन्ना के सामने सपोर्टिंग एक्टर के तौर पर ही दिखे।
फिल्म ‘रहना है तेरे दिल में’ भी लोगों को खूब पसंद आई लेकिन उस फिल्म के सक्सेस का क्रेडिट आर माधवन को दिया गया। ऋतिक रोशन के साथ ‘न तुम जानो न हम’ और शाहरुख खान के साथ ‘कल हो न हो’ में भी सैफ ने अभिनय किया। दोनों ही फिल्में पसंद तो की गई लेकिन सैफ अली खान अभी भी लोगों के लिए स्टार नहीं बने थे। ऐसा लग रहा था कि अब वो एक सपोर्टिंग एक्टर के तौर पर ही नजर आएंगे।
विशाल भारद्वाज ने बदल दी जिंदगी
जब किसी को सैफ अली खान से कोई उम्मीद नहीं थी उस समय विशाल भारद्वाज ने उनके सामने एक ऑफर रखा। दरअसल, विशाल भारद्वाज, विलियम शेक्सपीयर के फेमस नाटक ओथेलो पर बेस्ड फिल्म ‘ओमकारा’ बनाने के बारे में सोच रहे थे। फिल्म में तीन लीड एक्टर को रखना था। ओमकारा के किरदार के लिए उन्होंने अजय देवगन को पहले ही साइन कर लिया था और तीसरे किरदार के लिए विवेक ओबेरॉय को चुना जा चुका था जब दूसरे रोल के लिए विशाल भारद्वाज ने सैफ अली खान से बात की तो वो सोच में पड़ गए। उन्हें लगा कि अजय देवगन के सामने वो टिक नहीं पाएंगे। फिर भी उन्होंने फिल्म करने के लिए हां कर दिया।
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इसी रोल के लिए जब साल 2007 में अनाउंस हुआ कि ‘बेस्ट नेगेटिव फिल्मफेयर अवॉर्ड गोज टू सैफ अली खान’ तो उनके चेहरे पर एक मुस्कान तैर गई।
किस रोल के लिए मिला बेस्ट विलन का अवॉर्ड
फिल्म ‘ओमकारा’ में सैफ अली खान ने लंगड़ा त्यागी का किरदार निभाया था। ये किरदार इतना दमदार था कि ओमकारा जैसा पावरफुल रोल भी उनके सामने लंगड़ा हो गया।