महान संगीतकार राहुल देव बर्मन भले ही 4 जनवरी 1994 को दुनिया को अलविदा कह गए हों, लेकिन संगीत के प्रति उनके प्यार ने उन्हें अमर बना दिया। आरडी बर्मन को दुनिया से गए 30 साल हो चुके हैं, लेकिन आज भी फैंस उनके द्वारा रचित गीतों को नहीं भूले हैं। उन्होंने बॉलीवुड को कई बेहतरीन गाने दिए हैं। प्यार से पंचम दा कहे जाने वाले दिवंगत संगीतकार का जन्म 27 जून 1939 को कलकत्ता, बंगाल प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत में हुआ था। आज उनकी जयंती के मौके पर हम आपके लिए पद्मश्री विजेता के जीवन से जुड़ी एक बेहद खास कहानी लेकर आए हैं।
आरडी बर्मन की पहली शादी
आरडी बर्मन को बचपन से ही संगीत का बहुत शौक था। पंचम दा ने अपना पहला गाना तब लिखा जब वह महज नौ साल के थे। उन्होंने 'ऐ मेरी टोपी पलट के आ' लिखा था, जिसे उनके पिता ने 'फंटूश' (1956) में इस्तेमाल किया था। नाम कमाने के बाद संगीतकार ने रीता पटेल से शादी की। वह राहुल देव बर्मन की प्रशंसक थीं। कहा जाता है कि रीता ने अपनी सहेली से शर्त लगाई थी कि वह राहुल के साथ डेट पर जाएगी, जो उन्होंने किया भी! इसके बाद 1966 में दोनों ने शादी कर ली। हालांकि, यह शादी ज्यादा दिन नहीं चली। साल 1971 में दोनों का तलाक हो गया। 1972 में आई फिल्म 'परिचय' का गाना 'मुसाफिर हूं यारों' उन्होंने तब कंपोज किया था, जब वह अलग होने के बाद एक होटल में थे।
आशा भोसले के साथ पंचम दा की लव स्टोरी में जुनून, प्यार और मुश्किलें
पंचम दा के रिश्तेदार खगेश देव बर्मन की किताब 'आरडी बर्मन: द प्रिंस ऑफ म्यूजिक' में उनकी जिंदगी की कहानी बताई गई है। आरडी बर्मन और आशा भोसले की पहली मुलाकात साल 1956 में हुई थी। उस समय तक आशा भोसले म्यूजिक इंडस्ट्री में अपनी पहचान बना चुकी थीं। बर्मन ने फिल्म 'तीसरी मंजिल' के लिए आशा भोसले से संपर्क किया था। उस दौरान उनका अपनी पहली पत्नी रीता पटेल से तलाक हो चुका था। दूसरी ओर आशा भोसले भी अपने पहले पति गणपतराव भोसले से अलग हो चुकी थीं। उस दौरान आशा भोसले गर्भवती थीं और वो अपने दो बेटों के साथ अपनी बहन के घर रहती थीं। उसके बाद उनके तीसरे बेटे का जन्म हुआ। इसके बाद पंचम दा की मुलाकात गायकी के सिलसिले में आशा से हुई।
मां की नाराजगी के बाद भी की शादी
दोनों ने साथ में कई गाने गाए। पंचम दा ने आशा से शादी करने का फैसला किया, जिसके बाद हिंदी फिल्मों की कहानी की तरह ही उनकी मां ने इस शादी से इनकार कर दिया। उस वक्त पंचम दा ने विरोध करने की हिम्मत नहीं की। इस वजह से उन्हें शादी के लिए काफी लंबा इंतजार करना पड़ा। हालांकि, 1980 में उनकी मां के जिंदा रहते ही उनकी शादी हो गई। उस दौरान उनकी मां काफी बीमार रहती थीं और किसी को पहचान नहीं पाती थीं। अफसोस! बर्मन की लाइफस्टाइल की वजह से 1980 के दशक के आखिर में आशा ताई भी अलग हो गई थीं, लेकिन उनका आपसी सम्मान बना रहा और वो एक-दूसरे से नियमित रूप से मिलते रहे। शादी के 14 साल बाद जनवरी 1994 में 54 साल की उम्र में पंचम दा उन्हें अकेला छोड़ गए। वैसे उम्र में आशा ताई पंचम दा से 6 साल बड़ी थीं।