Gandhi Godse - Ek Yudh Controversy: हिंदी सिनेमा जगत कोविड महामारी के बाद से ही संघर्ष कर रहा है। सोशल मीडिया पर बायकॉट बॉलीवुड का ट्रेंड भी आए दिन जोर मारता है वहीं अब फिल्मों को लेकर नए नए विवाद भी आए दिन हो रहे हैं। इस बार बवाल करने वालों के निशाने पर राजकुमार संतोषी की फिल्म 'गांधी गोडसे: एक युद्ध' है। जिसे लेकर निर्देशक को जान से मारने तक की धमकी मिल चुकी है। अब इस विवाद को लेकर निर्देशक राजकुमार संतोषी ने इंडिया टीवी से बात की है। उन्होंने विरोधियों को करारा जवाब दिया है।
अटेंशन पाने के लिए कर रहे विरोध
राजकुमार संतोषी का कहना है कि फिल्म का विरोध किया जा रहा है, अगर फिल्म रिलीज हुई होती तो इस पर जवाब आ जाता। अगर ट्रेलर पर ही विरोध कर रहे हैं तो इस पर मैं क्या जवाब दूं। नासमझ हैं लोग "impatient is the right word"... अटेंशन लेने के लिए शायद विरोध कर रहे हैं, पहले फिल्म देखें फिर उसके बाद कहने के लिए उनका पूरा अधिकार भी है।
हमने सिनेमैटिक लिबर्टी ली है
जब संतोषी से पूछा गया कि क्या फिल्म में कोई ऐसा सीन जो रियलिटी से दूर है? तो उन्होंने कहा, "जो बातें फिल्म मे दिखाई हैं, गांधी और गोडसे के बीच जो बातें हो रही हैं वह सब उन्हीं के विचार को हमने पेश किया है। हमने स्क्रीनप्ले में एक सिनेमैटिक लिबर्टी ली है, जैसे- अगर गांधीजी बच गए होते तो क्या होता?, अगर गांधी जी गोडसे से मिलते हैं तो किस तरह की बातें होती? जो बातें फिल्म में हो रही हैं, वह किताब में लिखी हुई हैं, वही हमने डाला है जो स्टेटमेंट गोडसे ने दिया था।"
गांधी और गोडसे फेस टू फेस
फिल्म के ट्रेलर में एक सीन ऐसा भी है जिसमें गांधी और गोडसे आमने-सामने हैं। इसका भी विरोध हो रहा है। इस पर राजकुमार संतोषी ने कहा, "इसमें कोई भी ऑब्जेक्शन पॉइंट नहीं होगा। यह एक डायरेक्टर की कल्पना है.. यह मेरी कल्पना है ..अगर दोनों आमने सामने होते तो क्या होता, क्या बात करते? अगर गांधीजी बच गए होते तो मेरा मानना है कि वह जरूर मिलना चाहते गोडसे से और पूछते कि भाई इतनी घृणा क्यों मुझसे.. क्यों मुझ पर जानलेवा हमला किया?"
क्या गोडसे को ग्लैमराइज किया गया है?
फिल्म का विरोध करने वालों का कहना है कि इस फिल्म में गोडसे को ग्लैमराइज किया जा रहा है। इस पर राजकुमार संतोषी ने कहा, "मैंने यह नहीं सोचा और ना ही मैं यह मानता हूं। उस समय उनका अदालत में केस चला और सजा दे दी गई। उनके साथ एक अन्याय हुआ था कि उन्होंने जो बयान दिया था अदालत में.. पता नहीं क्यों, किस डर से उसको पब्लिक डोमेन में आने ही नहीं दिया। अभी 2 साल पहले उसे पब्लिक डोमेन में लाया गया पर अब बहुत देर हो चुकी है, आवाज को दबा दिया उन लोगों ने। मेरा प्रयास यह था कि लोगों को जानना चाहिए, यह लोगों का राइट है कि वह फैक्ट को जाने।"
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अंत में उन्होंने कहा, "लोगों को डरना नहीं चाहिए.. मैं सिर्फ दो लोगों के बीच का संवाद रख रहा हूं,बातें रख रहा हूं और कुछ नहीं.. ना ही इसमें गालियां और ना ही कोई युद्ध जिससे लोग डरें। मैं किसी पार्टी से जुड़ा हुआ नहीं हूं मैं एक इंडिपेंडेंट फिल्ममेकर हूं और मुझे अपनी आजादी से बहुत प्यार है।"