Friday, January 10, 2025
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मशहूर सिंगर जयचंद्रन का हुआ निधन, 80 साल की उम्र में ली आखिरी सांस, 16000 से ज्यादा गा चुके थे गाने

दिग्गज मलयालम प्लेबैक सिंगर पी जयचंद्रन का गुरुवार को 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने कई भाषाओं में 16,000 से ज्यादा गाने गए थे। 9 जनवरी को त्रिशूर के एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान उन्होंने आखिरी सांस ली।

Written By: Himanshi Tiwari @Himanshi200124
Published : Jan 09, 2025 23:31 IST, Updated : Jan 10, 2025 6:38 IST
p jayachandran passes away at the age of 80
Image Source : X मशहूर सिंगर जयचंद्रन का हुआ निधन

पी जयचंद्रन का 9 जनवरी को 80 साल की उम्र में निधन हो गया। छह दशकों से अधिक के करियर में जयचंद्रन ने 16,000 से अधिक गाने गाए। वह अपनी मधुर आवाज के लिए देश-विदेश में जाने जाते थे। जयचंद्रन ने त्रिशूर के एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे। जहां प्रसिद्ध कवि, सांसद और फिल्म निर्माता प्रीतिश नंदी ने 8 जनवरी, 2025 को अंतिम सांस ली तो वहीं अब जयचंद्रन की मौत की खबर सुन सिनेमा जगत में मातम पसरा हुआ है। सोशल मीडिया पर उनके चाहने वाले पोस्ट शेयर करते हुए गायक को श्रद्धांजलि दे रहे हैं।

मशहूर सिंगर का हुआ निधन

'भाव गायकन' के नाम से मशहूर जयचंद्रन भारतीय संगीत प्रेमियों के लिए एक उल्लेखनीय विरासत छोड़ गए हैं। अपनी भावपूर्ण और दर्द भरी आवाज के लिए प्रसिद्ध जयचंद्रन ने मलयालम, तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और हिंदी में कई गीतों को अपनी आवाज देकर लोगों के दिलों में एक खास जगह बनाई। उन्होंने फिल्मों के अलावा कई भक्ति संगीत भी गए थे, जिसने उन्हें भारतीय पार्श्व इतिहास में सबसे लोकप्रिय बना दिया। दुनिया को अलविदा कहने के बाद अब जयचंद्रन के परिवार में उनकी पत्नी ललिता, बेटी लक्ष्मी और बेटा दीनानाथन हैं। 

पी जयचंद्रन के नाम हुए ये पुरस्कार

जयचंद्रन को कई पुरस्कार से नवाजा जा चुका, जिनमें सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, पांच केरल राज्य फिल्म पुरस्कार, चार तमिलनाडु राज्य फिल्म पुरस्कार, केरल सरकार से जे.सी. डैनियल पुरस्कार और तमिलनाडु सरकार से कलैइमामणि पुरस्कार शामिल है। वहीं फिल्म 'श्री नारायण गुरु' में 'शिव शंकर शरण सर्व विभो' के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था।

कुंजली मरक्कर से किया था डेब्यू

जयचंद्रन ने 1965 में फिल्म 'कुंजली मरक्कर' के गाने 'ओरु मुल्लाप्पुमलमय' से बतौर प्लेबैक सिंगर अपने करियर की शुरुआत की थी। इस गाने को पी भास्करन ने लिखा था और चिदंबरनाथ ने इसे कंपोज किया था। इसके बाद निर्देशक ए विंसेंट ने मद्रास में एक कॉन्सर्ट में जयचंद्रन की आवाज सुनी और उन्होंने संगीत निर्देशक जी देवराजन से उनके लिए सिफारिश की। इसके बाद उन्हें 1967 में फिल्म 'कालिथोजन' का गाना 'मंजालयिल मुंगी तोर्थी' में गाने का मौका मिला और जयचंद्रन का ये गाना उनके करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुआ।

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