टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा ने 9 अक्टूबर को दुनिया को अलविदा कह दिया। उनकी मौत की खबर ने पूरे देश को हताश कर दिया। देश-दुनिया के लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। अब उनके जाने के बाद लोग उनके जीवन के हर पहलू को जानना चाहते हैं। उनकी बातों को याद किया जा रहा है। इसी बीच उनका बॉलीवुड कनेक्शन भी सामने आया। ये तो सभी जानते हैं कि उन्होंने अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म बनाई थी। सिमी गरेवाल से उनकी नजदीकियां और गहरी दोस्ती भी किसी से छिपी नहीं है, लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि अमिताभ बच्चन और सिमी गरेवाल से भी ज्यादा एक एक्टर रतन टाटा का करीबी दोस्त था। ये शख्स कोई और नहीं बल्कि 'महाभारत' के मामा शकुनि यानी गुफी पेंटल थे।
गुफी पेंटल ने सुनाया था दोस्ती का किस्सा
अपने यूट्यूब चैनल पर एक पुराने वीडियो में गुफी पेंटल ने रतन टाटा से रिश्ते के बारे में विस्तार से बात की थी। वीडियो में गुफी ने 1960 के दशक के आखिर के दिनों के बारे में बात की, जब वे जमशेदपुर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे और रतन टाटा के साथ एक ही हॉस्टल में रहते थे। उन्होंने कहा, 'उस समय रतन टाटा अमेरिका से अपनी ट्रेनिंग से लौटे ही थे और मुझसे कुछ साल बड़े थे। वे कमरा नंबर 21 में रहते थे और बहुत ही सज्जन व्यक्ति थे। इतने सम्मानित परिवार से आने के बाद भी, वे अब टाटा ग्रुप ऑफ कंपनीज के प्रमुख हैं और मैं एक भारतीय और एक मित्र के रूप में गर्व महसूस करता हूं।'
साथ में जाते थे पिकनिक मनाने
गुफी ने इसी वीडियो में उन छोटे-छोटे पलों को याद किया है, जो उनकी दोस्ती को खास बनाते थे। उन्होंने बताया, 'वे हमें अपनी कार में पिकनिक पर ले जाते थे और हमारी गहरी दोस्ती थी। मैं एकमात्र छात्र था जिसे वे चर्चा के लिए अपने कमरे में बुलाते थे। 1960 के दशक की शुरुआत में उनके पास एक खूबसूरत सिल्वर कन्वर्टिबल प्लायमाउथ थी और उस समय कार में हाई-फिडेलिटी रेडियो देखना उल्लेखनीय था। हम अंग्रेजी और हिंदी गाने सुनते थे और कभी-कभी बिनाका गीतमाला भी सुनते थे।'
जब मुंबई में हुई थी एक छोटी मुलाकात
बता दें, दिवंगत अभिनेता गुफी पेंटल का 2023 में निधन हो गया। उन्होंने मुंबई में दिवंगत उद्योगपति रतन टाटा के साथ अपनी एक छोटी मुलाकात को भी याद किया था। उन्होंने वीडियो में कहा था, 'मुझे एक दिन याद है जब मैं बांद्रा में लिंकिंग रोड पार करने के लिए इंतजार कर रहा था। एक बड़ी कार रुकी और मैंने पीछे दो बड़े कुत्तों को देखा। यह रतन टाटा थे जो घर लौट रहे थे। उन्होंने रुककर पूछा कि क्या मैं आपको छोड़ सकता हूं, लेकिन मैंने कहा कि नहीं, रतन, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। मैं सड़क पार कर रहा हूं; मेरी कार दूसरी तरफ है। यह एक संक्षिप्त मुलाकात थी, लेकिन इसने मुझ पर एक अमिट छाप छोड़ी।'