Mughal-E-Azam 63rd anniversary: दिलीप कुमार, मधुबाला और पृथ्वीराज कपूर स्टारर कल्ट क्लासिक फिल्म 'मुगल-ए-आजम' आज भी बॉलवुड की किसी धरोहर की तरह है, इस फिल्म के बाद पृथ्वीराज कपूर को लोगों ने अकबर, दिलीप कुमार को सलीम ही मान लिया था। फिल्म को शूटिंग होने से लेकर एडिट होकर पर्दे पर आने में 9 साल का लंबा समय लगा था। इस फिल्म ने पूरी दुनिया में भारतीय सिनेमा का नाम रोशन कर दिया था। आज इस फिल्म को रिलीज हुए पूरे 63 साल बीत चुके हैं, यह 5 अगस्त 1960 को रिलीज हुई थी। इस मौके पर दिलीप कुमार की पत्नी और बॉलीवुड की सीनियर एक्ट्रेस सायरा बानो ने एक नोट शेयर किया है। जिसमें उन्होंने ऐसी जानकारी दी हैं, जिन्हें सुनकर आप भी हैरत में रह जाएंगे।
वीडियो में दिखी फिल्म की झलक
एक्ट्रेस सायरा बानो ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें हम इस फिल्म की झलक देख सकते हैं। वीडियो में फिल्म के ब्लैक एंड व्हाइट और रंगीन दोनों हिस्सों की झलक दिखाई गई है। इसमें दिवंगत लता मंगेशकर की लोकप्रिय गीत, ''प्यार किया तो डरना क्या'' और ''मोहे पनघट पे'' मौजूद हैं। इस वीडियो के साथ उन्होंने एक नोट में लिखा है, "भारतीय सिनेमा के इतिहास में, किसी भी फिल्म ने दर्शकों के दिलों पर 'मुगल-ए-आजम' जितनी गहरी छाप नहीं छोड़ी है। के. आसिफ की यह फिल्म भारतीय फिल्म निर्माण की महिमा के लिए एक कालातीत प्रमाण के रूप में खड़ी है। इस फिल्म में साहेब की मनमोहक भूमिका ने इसमें अतिरिक्त परत जोड़ दी है।''
रोमांस और विद्रोह दोनों दमदार
उन्होंने आगे कहा, " साहेब का किरदार सलीम मंत्रमुग्ध करने वाला था। चरित्र में जान डालने की उनकी क्षमता, चाहे कोमल रोमांस के क्षण हों या भयंकर विद्रोह, देखने लायक थे। उनका शक्तिशाली प्रदर्शन आज तक दर्शकों दिलों में गूंजता है।'' सायरा ने आगे लिखा कि "मुगल-ए-आजम" समय की सीमाओं को पार करती है।
नौशाद को भी किया याद
उन्होंने लिखा,"फिल्म की समाप्ति तक की यात्रा अपने आप में किसी महाकाव्य गाथा से कम नहीं थी, जो आश्चर्यजनक रूप से दस वर्षों तक चली। लुभावनी राजसी 'शीश महल' से लेकर 'ठुमरी' जैसी कालजयी संगीत धुनों तक, फिल्म के हर पहलू पर विस्तार से ध्यान दिया गया। नौशाद द्वारा बनाई गई 'मोहे पनघट पे' और कव्वाली ''तेरी महफ़िल में'' में सौंदर्यपूर्ण रूप से लेकर मनमोहक वेशभूषा तक सब दिखाया गया है।''
क्या थी फिल्म की कहानी
फिल्म 'मुगल-ए-आजम' को के. आसिफ ने बनाया था, जिसमें पृथ्वीराज कपूर, दिलीप कुमार, मधुबाला और दुर्गा खोटे ने मुख्य भूमिका निभाई थी। फिल्म 'मुगल-ए-आजम' मुगल राजकुमार सलीम और दरबारी नर्तकी अनारकली (मधुबाला द्वारा अभिनीत) की प्रेम कहानी है। सलीम के पिता, सम्राट अकबर (पृथ्वीराज द्वारा अभिनीत) इस रिश्ते को अस्वीकार करते हैं, जिसके कारण पिता और पुत्र के बीच युद्ध होता है।
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पहली डिजिटल कलर फिल्म
फिल्म आज भी सिनेमाई जादू का एक प्रतीक बनी हुई है, जो हमें भारतीय सिनेमा की कलात्मक ऊंचाइयों की याद दिलाती है। यह फिल्म निर्माताओं और अभिनेताओं की पीढ़ियों को प्रेरित करती है, यह याद दिलाती है कि सच्ची कलात्मकता की कोई सीमा नहीं होती है और यह समय की कसौटी पर खरी उतरती है। 'मुगल-ए-आजम' डिजिटल रूप से रंगीन होने वाली पहली फिल्म थी जो पहली बार थिएटर में दोबारा रिलीज हुई थी। फिल्म का रंगीन संस्करण 12 नवंबर 2004 को रिलीज किया गया था।
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