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शाहरुख़ खान ने लता मंगेशकर के पार्थिव शरीर पर दुआ के बाद क्यों फूंका? इस्लाम में क्या होता है इसका मतलब, जानें

लता मंगेशकर के अंतिम संस्कार के दौरान शाहरुख खान ने दिग्गज गायिका के लिए 'दुआ' पढ़ी, फूल चढ़ाए और प्रार्थना की और अपना मास्क हटा कर फूंका भी।

Written By: India TV Entertainment Desk
Published : Feb 07, 2022 14:29 IST, Updated : Dec 16, 2022 15:09 IST
Shah Rukh Khan
Image Source : INSTAGRAM/SRK._IFE78 Shah Rukh Khan

लता मंगेशकर के अंतिम संस्कार के दौरान तमाम नामी हस्तियां शिवाजी पार्क में मौजूद थीं। इन हस्तियों ने लता मंगेशकर के पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान शाहरुख खान भी उनमें से एक थे जिन्होंने लता मंगेशकर को अपना आखिरी सलाम दिया।

इस दौरान की तस्वीरें और वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो रहे हैं, जहां शाहरुख और उनकी मैनेजर पूजा ददलानी, लता मंगेशकर की अंत्येष्टि के दौरान शिवाजी पार्क में नजर आए।

वायरल हो रही फोटो में शाहरुख खान दुआ में हाथ ऊपर उठाते नजर आ रहे हैं, जबकि ददलानी हाथ जोड़कर उनके पास खड़ी हैं। शाहरुख खान ने लता मंगेशकर को पुष्पांजलि अर्पित की, उनके पैर छुए और मरहूम के लिए दुआ की। सुपरस्टार के हावभाव से फैंस प्रभावित हुए और इस क्षण को 'धर्मनिरपेक्ष भारत की तस्वीर' बताई।

अंतिम संस्कार समारोह में शाहरुख ने पूरी आस्तीन और कार्गो पैंट में सफेद टी-शर्ट पहनी थी। उन्होंने मंगेशकर के लिए 'दुआ' पढ़ी, फूल चढ़ाए और प्रार्थना की और अपना मास्क हटा कर लता मंगेशकर के शव पर फूंका। हालांकि, कुछ इंटरनेट पर ट्रोलर्स ने शाहरुख खान के ऐसा करने पर ऐतराज जताया। उनका कहना है कि शाहरुख खान ने लता मंगेशकर ने पार्थिव शरीर पर फूंकने की जगह 'थूका' है।

इस्लाम में फूंकने का क्या है मतलब?

लता मंगेशकर के पार्थिव शरीर को शाहरुख खान इस्लामिक तरीके से दिवंगत को आखिरी विदाई देते हुए नजर आए थे। काजी मोहम्मद आबिद हुसैन थानवी के मुताबिक, "कुरान की आयतें और उनके शब्द मुकद्दस (पवित्र) होते हैं। कुरान की आयतों को पढ़ कर इंसान अपनी दुआओं को फूंकने के जरिए सामने वाले को सुपुर्द (पहुंचाता) करता है।" 

दम करने का भी है रिवाज
हालांकि, इस्लाम के जानकार तारिकुज़्ज़मां बताते हैं, फूंकने का रिवाज दम करने से भी है। गंगा-जमुनी तहजीब वाले इलाकों में ऐसा देखने को मिलता है कि जब असर की (शाम की) नमाज के बाद हिंदु-मुस्लिम धर्मों के लोग अपने अस्वस्थ परिजनों को मस्जिद के बाहर लेकर आते हैं, और नामजी उन अस्वस्थ लोगों के ऊपर फूंकते हैं। इस रिवाज को दम करना कहा जाता है हैं। यानी नमाजी पवित्र कुरान के शब्दों को पढ़ कर अपनी दुआएं उन तक सुपुर्द करते हैं, ताकि उन पर ऊपर वाले की रहमत हो।"

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