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'दीवार पर बैठी मक्खी', मनोज बाजपेयी ने नए एक्टर्स को दी सलाह, बोले-बारीकी ही बनाएगी किंग

मनोज बाजपेयी ने अपने करियर में कई सुपरहिट फिल्में दी हैं। हिट फिल्मों के साथ कई कहानियों में अपने दमदार अभिनय से अमिट छाप छोड़ी है। मनोज बाजपेयी ने हाल ही में नए नवेले एक्टर्स को भी सलाह दी है।

Written By: Shyamoo Pathak
Published : Nov 22, 2024 14:34 IST, Updated : Nov 22, 2024 14:34 IST
Manoj Bajpeyee
Image Source : INSTAGRAM मनोज बाजपेयी

अभिनेता मनोज बाजपेयी इन दिनों इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (IFFI) में हिस्सा लेने गोवा पहुंचे हैं। यहां मनोज बाजपेयी ने अपनी एक्टिंग की जर्नी को शेयर किया है। साथ ही न्यूकमर एक्टर्स को करियर की सलाह भी दी है। गुरुवार को पीटीआई से बातचीत में मनोज बाजपेयी ने बताया कि 'एक कलाकार को 'दीवार पर बैठी मक्खी' की तरह होना चाहिए, ताकि वह फिल्मों के पात्रों को अधिक वास्तविक बनाने के लिए प्रेरणा हासिल कर सके। 'दीवार पर बैठी मक्खी' मुहावरे का अर्थ किसी जगह पर गुपचुप मौजूद रहते हुए चीजों को बारीकी से देखना-सुनना है। 

‘सत्या’, ‘शूल’, ‘गैंग्स ऑफ वसेपुर’ और ‘गली गुलियां’ जैसी फिल्मों में अपने दमदार अभिनय के लिए लोकप्रिय अभिनेता बाजपेयी ने कहा कि उन्होंने हमेशा लोगों से जुड़े रहने का प्रयास किया है और वह आज भी सेल्फी पोस्ट करने के बजाय बाजार जाकर सब्जियां खरीदना पसंद करते हैं। पणजी में भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में एक मास्टरक्लास के दौरान अभिनेता ने कहा,'मुझे लगता है कि सेल्फी मेरी निजता का उल्लंघन करती हैं, आजकल तो मेरी पत्नी भी मेरे इतनी करीब नहीं है। सच कहूं तो, अगर मैं अपनी कार की खिड़कियां बंद रखूंगा, तो मैं लोगों के करीब कैसे रहूंगा? मैं कैसे समझूंगा कि वे किस दौर से गुजर रहे हैं? मैं उन किरदारों को कैसे समझ पाऊंगा।' 

लोगों से कटूंगा तो पीछे चला जाऊंगा

उन्होंने कहा, 'मैं लोगों से जितना कटता जाऊंगा, सफर में उतना ही पिछड़ता चला जाऊंगा। मेरे जैसा अभिनेता लोगों से दूर नहीं रह सकता।' राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता बाजपेयी (55) ने कहा कि अपने 30 साल के करियर में वह कभी भी ‘स्टारडम’ के पीछे नहीं भागे। उन्होंने कहा, 'स्टारडम में रहस्य और ग्लैमर है। मैं सिर्फ अच्छे किरदारों के पीछे भाग रहा था। मैं सार्वजनिक रूप से दिखना नहीं चाहता, क्योंकि मैं सड़कों पर चलते लोगों, बस स्टॉप के पास खड़े लोगों या कुछ बेचते लोगों को देखने में व्यस्त रहना चाहता हूं।' बाजपेयी ने कहा, 'एक कलाकार को दीवार पर बैठी मक्खी की तरह होना चाहिए। वह कमरे में तो रहती है, लेकिन लोगों को नहीं पता होता कि वह कमरे में है। अगर आप वास्तविक जीवन में यह कला सीख लें, तो चीजें आसान हो जाती हैं। आप उन चीजों को देख सकते हैं, जो अनदेखी हैं।' 

कई फिल्मों में दिखाया एक्टिंग का दम

अभिनेता ने 2017 में प्रदर्शित ‘गली गुलियां’ में निभाए किरदार को अपने करियर का अब तक का सबसे मुश्किल किरदार करार दिया। उन्होंने कहा कि वह उन किरदारों के साथ न्याय करके खुशी महसूस करते हैं, जो उनके असल व्यक्तित्व से बिल्कुल जुदा हैं। बाजपेयी ने कहा, 'अगर आप लोगों के बीच नहीं जाते, तो आप ऐसा नहीं कर सकते। मैं मेट्रो या लोकल ट्रेन में सफर करना और लोगों को कठिन परिस्थितियों में भी जीवन का आनंद उठाते देखना पसंद करूंगा। मैं पर्दे पर जिन किरदारों को निभाने जा रहा हूं, अगर मैं उनके जैसे लोगों के बीच नहीं जाऊंगा और उनके जीवन को नहीं महसूस करूंगा, तो यह मेरी अदाकारी में साफ दिखाई देगा।' बाजपेयी की फिल्म ‘डिस्पैच’ गुरुवार की रात आईएफएफआई में दिखाई गई। कानू बहल के निर्देशन में बनी यह फिल्म एक ‘क्राइम ड्रामा’ है, जिसमें बाजपेयी एक खोजी पत्रकार के किरदार में नजर आएंगे। ‘डिस्पैच’ 13 दिसंबर को ओटीटी मंच ‘जी5’ पर प्रदर्शित की जाएगी।

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