बॉलीवुड के बेहतरीन एक्टर्स में शुमार मनोज बाजपेयी आज अपना 53वां जन्मदिन मना रहे हैं। मनोज बाजपेयी आज बड़ा नाम हैं। ये किसी परिचय के मोबताज नहीं हैं। इन्हें हिंदी सिनेमा में अपने बेहतरीन अभिनय के लिए जाना जाता है। फिल्मों से लेकर सीरिज तक में इन्होंने परचम लहराया। रोल कोई भी हो ये उसको भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। मनोज बाजपेयी बॉलीवुड के ऐसे कलाकार हैं जिन्होंने अपने अभिनय से बड़े पर्दे पर अमिट छाप छोड़ी है। आज उनके जन्मदिन के मौके पर हम आपको उनसे जुड़े कुछ खास किस्सों से रूबरू कराएंगे तो चलिए जानते हैं इनके बारे में।
मनोज बाजपेयी का जन्म 23 अप्रैल 1969 को नरकटियागंज, बिहार में हुआ था। बचपन से उनका सपना एक्टर बनने का था। 17 की उम्र में बाजपयी अपने गांव नारकाटिया से दिल्ली शिफ्ट हो गये। कॉलेज के दिनों में मनोज ने थियेटर करना शुरू कर दिया था।
एनएसडी में तीन बार हुए थे रिजेक्ट-
नएसडी (नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा) में एडमिशन लेने के लिए उन्हें खूब मेहनत करनी पड़ी। बावजूद इसके उन्हें एडमिशन नहीं मिला। 3 बार कोशिश के बावजूद वो रिजेक्ट हो जाते थे। मनोज वाजपेयी को गहरा सदमा लगा। उन्होंने एक बार तो अपनी जान देने की भी कोशिश की, लेकिन उनके दोस्तों ने उन्हें समझाया। इसके बाद उन्होंने बैरी ड्रामा स्कूल में बैरी जॉन के साथ थियेटर किए। बैरी जॉन मशहूर थिएटर निर्देशक व अध्यापक हैं।
असिस्टेंट डायरेक्टर ने फाड़ दी थी फोटो-
एक इंटरव्यू में एक्टर ने बाताया कि शुरुआत में एक चॉल में पांच दोस्तों के साथ रहता था। काम खोजता था, लेकिन कोई रोल नहीं मिला। एक असिस्टेंट डायरेक्टर ने मेरी तस्वीर फाड़ दी थी और मैंने एक ही दिन में तीन प्रोजेक्टस खोए थे। मुझे पहले शॉट के बाद कहा गया कि यहां से निकल जाओ। मैं एक आइडल हीरो की तरह नहीं दिखता था तो उन्हें लगता था कि मैं कभी बॉलीवुड का हिस्सा नहीं बन पाऊंगा।”
बदला था नाम-
मनोज बाजपेयी ने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘मनोज नाम बिहार में बहुत कॉमन है. मनोज टायरवाला, मनोज भुजियावाला, मनोज मीटवाला और ना जाने क्या -क्या. ऐसे बहुत सारे मनोज आपको मिलेंगे बिहार में. मैंने ये सोचा था कि मैं अपना नाम बदलूंगा। मैंने अपने लिए एक नया नाम भी सोच लिया था। ये नाम था समर। थिएटर के ज़माने में नाम बदलने के बारे में सोचा तो सबने कहा कि एक एफिडेविट बनवाना पड़ेगा। अखबार में विज्ञापन देने होंगे। यह सब कानूनी प्रक्रिया थी। उस वक़्त पैसे नहीं थे तो ये कार्यक्रम स्थगित हो गया। बैंडिट क्वीन के लिए जब धन मिला तो सोचा कि अब नाम बदलता हूं, लेकिन तब मेरे भाई ने कहा कि यार आप कमाल करते हो। आपकी पहली फिल्म देखेंगे लोग तो मनोज बाजपेयी और बाद में कुछ और नाम? तो मैंने सोचा कि अब जो हो गया, बॉस हो गया।’
'स्वाभिमान' से की शुरुआत-
उन्हें दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले सीरियल 'स्वाभिमान' में मौका मिला। इसमे वो एक गुंडे के किरदार में नजर आए। उनकी एक्टिंग देखकर हर कोई उनका कायल हो गया। शेखर कपूर की जब उनपर नजर पड़ी तो उन्होंने अपनी फिल्म 'बैंडिट क्वीन'में साइन कर लिया। बैंडिट क्वीन में वो डाकू मान सिंह के छोटे से रोल में नज़र आए। इसके बाद आई राम गोपाल वर्मा की फिल्म सत्या के भीकू म्हात्रे के किरदार ने इन्हें बॉलीवुड में एक मुकाम दे दिया और यहीं से शुरू हो गया इनका सफर। भीखू म्हात्रे के किरदार के लिये उन्हे कई पुरस्कार मिले।
1500 रुपये मिली थी पहली सैलरी-
किराए के पैसे देने के लिए मनोज संघर्ष करते थे और उन्होंने बताया था कि कई बार तो उन्हें वडा पाव भी महंगा लगता था, लेकिन पेट की भूख मेरे सफल होने की भूख को हरा नहीं पाई। चार सालों तक स्ट्रगल करने के बाद मुझे महेश भट्ट के निर्देशन में बने धारावाहिक स्वाभिमान में रोल मिला। मुझे हर एपिसोड के लिए 1500 रुपये मिलते थे, मेरी पहली सैलरी।
शूल से मिली सराहना-
साल 1999 मे आई फिल्म 'शूल' मे उनके किरदार समर प्रताप सिंह के लिए उन्हे फिल्मफेयर का सर्वोत्तम अभिनेता पुरस्कार मिला। अमृता प्रीतम के मशहूर उपन्यास 'पिंजर' पर आधारित फिल्म पिंजर के लिए उन्हें एक बार फिर से राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।
हुई थीं दो शादियां-
मनोज बाजपेयी एक नहीं बल्कि दो बार शादी कर चुके हैं। पहली शादी ज्यादा दिन टिक नहीं पाई थी। मनोज ने एक्ट्रेस शबाना रजा उर्फ नेहा से साल 2006 में शादी की थी। कहा जाता है कि फिल्म सत्या के प्रीमियर पर मनोज बाजपेयी और शबाना रजा की पहली मुलाकात हुई थी। लगभग 8 सालों तक एक दूसरे को डेट करने के बाद कपल ने 2006 में शादी कर ली थी। । दोनों की एक छोटी सी बेटी है जिसका नाम अवा है।
हिट फिल्में-
अब तक मनोज बाजपेयी कई फिल्मों में काम कर चुके हैं, जिनमे, कलाकार, दाउद, तम्मना, सत्या, प्रेम कथा, कौन, शूल, फिजा, दिल पे मत ले यार, पिंजर, एलओसी कारगिल, वीर-जारा, जेल आदि शमिल हैं।
पुरस्कार
उन्हें फिल्मों से सम्बन्धित कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। उन्हें राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।