सुर साम्राज्ञी, करोड़ों दिलों में अपनी आवाज के दम पर राज करने वाली भारत रत्न लता मंगेशकर के निधन से समूचा देश और उनके प्रशंसक दुखी है। लता जी पिछले कई दिनों से मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में थी, उन्हें कोरोना के साथ साथ निमोनिया ने भी जकड़ लिया था और काफी प्रयासों के बाद डॉक्टर उन्हें बचा नहीं पाए।
उनके निधन की खबर से बॉलीवुड ही नहीं देश और विदेश में भी उनके करोड़ों प्रशंसकों में शोक का माहौल व्याप्त हो गया है।
लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को मध्यप्रदेश के इंदौर में हुआ। उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर खुद एक नामचीन गायक थे। दीनानाथ जी ने लता मंगेशकर को महज पांच साल की उम्र से ही संगीत सिखाना शुरू किया। लता जी के साथ उनकी बहनों आशा, ऊषा और मीना के साथ साथ भाई ने भी संगीत की शिक्षा ली।
शुरुआती पढ़ाई और संगीत शिक्षा
लता जी की शुरूआती शिक्षा दीक्षा इंदौर में ही हुई। लता 'अमान अली ख़ान साहिब' और बाद में 'अमानत ख़ान' के साथ भी पढ़ चुकी हैं। लता मंगेशकर को ईश्वर की तरफ से सुरीली आवाज़ मिली थी, अपने मिलनसार व्यवहार और जानदार अभिव्यक्ति के कारण वो जल्द ही चीजों को ग्रहण कर लेती थी। साल साल की छोटी सी उम्र में ही लता मंगेशकर को पहली बार एक नाटक में काम करने का मौका मिला। उनके काम की सराहना तो हुई लेकिन लता की दिलचस्पी संगीत में थी औऱ उनका झुकाव भी संगीत की ही तरफ रहा।
पिता की मौत
साल 1942 में लता मंगेशकर के पिता की मौत हो गई। तब लता केवल 13 वर्ष की थीं और उनके कंधों पर परिवार की देख रेख का जिम्मा आ गया। तब नवयुग चित्रपट फिल्म कंपनी के मालिक और पिता के दोस्त मास्टर विनायक परिवार की मदद की 00और लता मंगेशकर को एक सिंगर के साथ साथ एक्टिंग में भी काम दिलवाया।
नूरजहां के साथ तुलना
लता मंगेशकर को आते ही इंडस्ट्री ने हाथों हाथ लिया, ऐसा नहीं रहा। अपनी शानदार आवाज के बावजूद उन्हें शुरूआत में अपनी जगह बनाने में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था। कई म्यूजिक डायरेक्टर उनकी पतली आवाज से नाखुश दिखे। कई लोगों ने कहा कि थोड़ी भारी आवाज लेकर आओ। उस वक्त गायिका नूरजहाँ के जलवे थे, उनके साथ भी लता मंगेशकर की तुलना की गई। लेकिन धीरे-धीरे लता की आवाज ने अपनी यूनीक नेस के चलते इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाई और कुछ ही सालों में वो इंडस्ट्री की सबसे कामयाब सिंगर बन गई।
निजी जिंदगी
निजी जिंदगी की बात करें तो लता मंगेशकर जी ने ताउम्र विवाह नहीं किया। उनकी बहनों और भाइयों ने शादी करके जिंदगी बसाई लेकिन लता जी अविवाहित ही रहीं और संगीत साधना में रत रहीं।
पहली कमाई
हालांकि पिता जीवित होते तो शायद लता कभी फिल्मों की तरफ रुख न करती और शास्त्रीय संगीत में जीवन बिताती लेकिन पिता के निधन के बाद परिवार के पालन पोषण के लिए लता को इस लाइन में आना पड़ा और उनकी पहली कमाई थी 25 रुपए। साल था 1942 और फिल्म थी किटी हसाल। इस फिल्म में गाना गाने के लिए लता को 25 रुपए का मेहनताना मिला।
पहली सफलता
लता मंगेशकर को पहली बार सराहा गया फिल्म महल के जरिए। इस फिल्म के गीत 'आएगा ने वाला' ने उनके नाम की धूम मचा दी। इस फिल्म में नायक अशोक कुमार थे और फिल्म के गीत के साथ साथ फिल्म भी सुपरहिट हुई और लता मंगेशकर की सफलता का दौर शुरू हो गया।
अन्य सफल फिल्में
महल की सफलता के बाद लता मंगेशकर ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। उनके साथ उनकी बहनें भी सफलता के आयाम गढ़ने लगी। लता जी ने दो आंखें बारह हाथ, दो बीघा ज़मीन, मदर इंडिया, मुग़ल ए आज़म, आदि कालजयी और महान फ़िल्मों में गीत गाकर इन्हें अमर कर दिया। महल के अलावा बरसात, एक थी लड़की, बडी़ बहन आदि फ़िल्मों में अपनी आवाज़ के जादू से इन फ़िल्मों की लोकप्रियता में चार चांद लगाए। इस दौरान आपके कुछ प्रसिद्ध गीत थे: “ओ सजना बरखा बहार आई” (परख-1960), “आजा रे परदेसी” (मधुमती-1958), “इतना ना मुझसे तू प्यार बढा़” (छाया- 1961), “अल्ला तेरो नाम”, (हम दोनो-1961), “एहसान तेरा होगा मुझ पर”, (जंगली-1961), “ये समां” (जब जब फूल खिले-1965) से लेकर कुछ कुछ होता है तक के गाने गाकर लता जी ने अपने करोड़ों मुरीद बनाए।
रिकॉर्ड और उपलब्धियां
लता मंगेशकर के नाम विश्व में सबसे ज्यादा गाने रिकार्ड करने का रिकॉर्ड है।उन्होंने हिंदी के साथ साथ अन्य 35 भाषाओं में गीत गाए है। बॉलीवुड और फ़िल्मी गीतों के उन्होंने अन्य गाने भी गाए।