स्वर कोकिला के नाम से दुनियाभर में मशहूर लता मंगेशकर आज अगर इस दुनिया में होतीं तो अपना 94वां जन्मदिन मनातीं। अपनी अद्वितीय आवाज से ना केवल लता मंगेशकर ने सिर्फ भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनाई। लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को मध्य प्रदेश के इंदौर में एक मराठी परिवार में हुआ था। उनका असली नाम हेमा मंगेशकर था, लेकिन फिर उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर ने उनका नाम 'लता' रका। लता का बचपन से ही संगीत से लगाव था, क्योंकि उनके पिता प्रतिष्ठित शास्त्रीय गायक और थियेटर आर्टिस्ट थे। वैसे तो लता मंगेशकर से जुड़े कई किस्से मशहूर हैं, लेकिन उन्हें लेकर एक किस्सा हम आपको आज उनके जन्मदिवस के मौके पर बताते हैं।
1948 में आई जिद्दी से जुड़ा किस्सा
ये किस्सा उनके पहले गाने से जुड़ा था। साल 1948, फिल्म आई 'जिद्दी'। गाने सुपरहिट थे। उस दौर की मंझी हुई अदाकारा कामिनी कौशल के लिए लता मंगेशकर ने गाने गाए। फिल्म खूब पसंद की गई। दरअसल, उस दौर में डिस्क पर सिंगर का नाम नहीं जाता था तो लता मंगेशकर का भी नहीं गया। लेकिन, उनकी जगह कोई और नाम था। किस्सा कुछ यूं है कि डिस्क पर नाम लता मंगेशकर का नहीं आशा का था। आशा यानी उनकी छोटी बहन नहीं, उस फिल्म में कामिनी कौशल के कैरेक्टर का नाम। म्यूजिक कंपनी ने आशा ही नाम छापा। वो दौर ही कुछ ऐसा था कि एक्ट्रेस-एक्टर का नाम तो जाता था, लेकिन सिंगर्स को क्रेडिट नहीं दिया जाता था। फिर हुआ यूं कि गाना खूब बजा, लोगों को पसंद भी आया और सिंगर के तौर पर कामिनी कौशल को लोगों का प्यार भी खूब मिलने लगा।
कामिनी कौशल ने किया था किस्से का जिक्र
लेकिन, कामिनी कौशल को ये बात अखर गई। उन्हें लता का क्रेडिट लेने में हिचक महसूस हुई। तुरंत, रिकॉर्डिंग कंपनी से गुजारिश की कि उनकी जगह लता का नाम डाला जाए। ऐसा ही हुआ और तब जाकर आशा की जगह लता का नाम लिखा गया। कामिनी कौशल ने खुद एक इंटरव्यू में इसका जिक्र किया था।
लता मंगेशकर को माना जाता था साक्षात सरस्वती का अवतार
लता मंगेशकर को साक्षात सरस्वती का अवतार माना जाता रहा और उनके बारे में यह धारणा रही कि अपनी जादुई आवाज से वह किसी भी गाने को हिट करा देती थीं। लेकिन, एक वक्त ऐसा भी था जब लता मंगेशकर को उनकी पतली आवाज की वजह से मशहूर निर्देशक ने रिजेक्ट कर दिया था। मतलब लता जी जैसी गायिका को भी काफी संघर्षों से गुजरना पड़ा था। यह मामला दिलीप कुमार की फिल्म 'शहीद' से जुड़ा है। फिल्म के निर्माता एस मुखर्जी थे। उन्होंने इस फिल्म के एक गाने के लिए लता मंगेशकर का ऑडिशन लिया और उन्हें उनकी आवाज इसलिए पसंद नहीं आई क्योंकि उनको लगा कि लता की आवाज काफी पतली है। फिर उन्होंने उन्हें रिजेक्ट कर दिया। फिर लता जी को दिलीप कुमार ने उर्दू सीखने की सलाह दी और उन्होंने भी इसको लेकर कड़ी मेहनत की।
लता मंगेशकर ने गाए 50 हजार से ज्यादा गाने
लता मंगेशकर के खाते में 50 हजार से ज्यादा गीत गाने का रिकॉर्ड हैं। उन्होंने 141 अलग-अलग भाषाओं में इतने गीत गाए हैं। महज 13 साल की उम्र में ही उन्होंने अपने सिंगिंग करियर की शुरुआत कर दी थी। लता जी ने तो खुद ही कहा था कि वह अपने गाए गाने नहीं सुनती थीं क्योंकि उनको अपने गाए गानों में सैकड़ों कमियां नजर आती थी। वह अपने सबसे पसंदीदा संगीत निर्देशक के तौर पर मदन मोहन का नाम लेती रहीं।
तीन बार मिला नेशनल अवॉर्ड
लता मंगेशकर को उनकी बेहतरीन गायकी के लिए तीन बार नेशनल अवॉर्ड मिला। अपने 80 साल के लंबे करियर में उन्होंने 36 भाषाओं में 50 हजार से ज्यादा गाने गाए थे। उन्हें भारत रत्न, पद्म विभूषण जैसे सम्मान से भी नवाजा गया था। यही वजह है कि उनका नाम 'गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड' में दर्ज है। लता मंगेशकर को 'सुरों की मल्लिका' और 'कोकिला कंठी' के नाम से भी सारी दुनिया जानती है, लेकिन कम लोग जानते हैं कि उन्हें फोटोग्राफी का भी बहुत शौक था।