Highlights
- इस गाने के लिए किया था आधी रात को कॉल
- किशोर की आवाज का बर्मन रखते थे ध्यान
- अंतिम गाने की रिकॉर्डिंग का किस्सा है भावुक
Kishore Kumar And SD Burman: महान गायक किशोर कुमार और फेमस म्यूजिक डायरेक्टर सचिन देव बर्मन का रिश्ता केवल प्रोफेशनल नहीं था, उनमें बहुत प्यार था। एसडी बर्मन साहब, किशोर कुमार की आवाज के कायल थे। साथ ही वो किशोर कुमार से बहुत प्यार करते थे। इसलिए उन पर हक भी जताते थे। जब भी एसडी बर्मन साहब कोई धुन बनाते तो तुरंत किशोर कुमार को धुन सुनाने के लिए कॉल करते थे।
इस गाने के लिए किया था आधी रात को कॉल
अपने एक इंटरव्यू में किशोर कुमार ने बताया था कि एक बार तो आधी रात में बर्मन साहब ने किशोर कुमार को कॉल किया था। किशोर कुमार डर गए कि इतनी रात को दादा का फोन क्यों आया। घबराते हुए फोन उठाकर किशोर कुमार ने कहा- 'दादा, आपने इतनी रात को कॉल किया है, कोई गड़बड़ तो नहीं हुई।' बर्मन साहब ने कहा कि 'नहीं रे गड़बड़ काहे की। मैंने एक धुन बनाई है सुन तो कैसा बना है।' फिर वो फोन पर ही गाने लगते थे 'हम्म्म्म….कोरा कागज था ये मन मेरा। लिख दिया नाम इस पर तेरा।'
किशोर दा ने आधी नींद में वो लाइन दोहराई तो बर्मन साहब को गुस्सा आ गया और उन्होंने किशोर दा को डांट लगाई- 'स्टुपिड, ये कैसे गाता है। ठीक से गा न।' इस पर किशोर दा कहते कि 'दादा अभी रात के बजे है बारह, और नींद ने मुझे बहुत जोड़ से है मारा।' इतना सुन बर्मन साहब कहते कि 'अच्छा-अच्छा ठीक है अभी सो जा, लेकिन सुबह रिहर्सल पर आ जाना।'
किशोर की आवाज का बर्मन रखते थे ध्यान
बर्मन साहब, किशोर कुमार की आवाज का बहुत ध्यान रखते थे। वो हमेशा किशोर कुमार से ज्यादा उछल कूद करने से मना करते थे। वो फोन कर किशोर कुमार से कहते 'अगर तू अपनी आवाज को नहीं संभालेगा तो आवाज भी तेरे को नहीं संभालेगा।' एक दिन किशोर कुमार, एसडी बर्मन साहब के साथ फिल्म प्रेम पुजारी के प्रीमियर पर पहुंचे। वहां किशोर कुमार ने एस डी बर्मन साहब से कहा- 'दादा कल रिकॉर्डिंग है और इस एयर कंडीशन के कारण मेरी आवाज थोड़ी गड़बड़ लग रही है।' बर्मन साहब ने थिएटर के मैनेजर को बुलाकर पूरे थिएटर का एयर कंडीशन मशीन ऑफ करने को कह दिया। कभी कभी बीच रास्ते पर अगर बर्मन साहब को किशोर कुमार दिख जाते तो उन्हें बीच रास्ते पर गाड़ी रोककर रिहर्सल कराते। पूरे रास्ते पर ट्रैफिक जाम हो जाता था।
अंतिम गाने की रिकॉर्डिंग का किस्सा है भावुक
जब किशोर दा, बर्मन साहब के लिए आखिरी गाना गा रहे थे तो उस समय वो स्टूडियो में मौजूद नहीं थे, बल्कि अस्पताल में थे। इंटरव्यू के दौरान किशोर कुमार ने बताया कि जब बर्मन साहब के घर गाने की रिहलसल चल रही थी तो बर्मन साहब की तबीयत खराब हो रही थी। रिहर्सल कर जब किशोर दा अपने घर के लिए निकलने तो उसके कुल 30 मिनट बात बर्मन साहब की तबीयत ज्यादा खराब हो गई। डॉक्टर ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने को कहा। तो बर्मन साहब ने साफ इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि 'किशोर की रिकॉर्डिंग होने के बाद ही वो अस्पताल जाएंगे।'
एस डी बर्मन के बेटे राहुल देव बर्मन को अपने पिता की हालत देखी नहीं गई। वो तुरंत किशोर कुमार के पास पहुंचे और पूरी बात बताई। किशोर कुमार, बर्मन साहब से मिलने पहुंचे और वहां जाकर अपनी आवाज जानबूझकर खराब कर बोले कि 'दादा, मेरी आवाज अभी कितनी खराब है। कुछ दिनों के लिए रिकॉर्डिंग टाल दीजिए और अस्पताल चले जाइए।' बर्मन साहब ने किशोर दा का हाथ पकड़ते हुए कहा कि 'देख किशोर, गाना अच्छा होना चाहिए रे। अगर मैं रिकॉर्डिंग के समय न भी रहूं तब भी सोचना मैं वहीं हूं और वैसे ही गाना जैसा मैं चाहता हूं।' जिसका डर था वही हुआ। बर्मन साहब रिकॉर्डिंग के वक्त स्टूडियो में मौजूद नहीं थे।
किशोर कुमार के गाना रिकॉर्ड करने के बाद राहुल देव बर्मन गाने का टेप लेकर अस्पताल पहुंचे और बर्मन साहब को गाना सुनाया। गाना सुनने के बाद बर्मन साहब ने अपने बेटे से कहा 'पंचम, मुझे मालूम था किशोर ऐसा ही गाएगा।' वो गाना अमिताभ बच्चन और जया भादुरी की फिल्म मिली से था- 'बड़ी सुनी सुनी है जिंदगी-जिंदगी।'
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