मशहूर प्लेबैक सिंगर और अभिनेता किशोर कुमार को इस दुनिया से गए बरसों हो गए हैं। 4 अगस्त 1929 को जन्मे किशोर कुमार बहुत ही कम उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह गए। उन्होंने 13 अक्तूबर 1987 को अपनी आखिरी सांस ली। आज किशोर दा की 37वीं पुण्यतिथि है। किशोर कुमार जितना अपने टैलेंट के लिए मशहूर रहे उतना ही अपनी निजी जिंदगी के लिए भी सुर्खियां बटोरीं। वह एक्टिंग और सिंगिंग दोनों कलाओं में माहिर थे। वैसे तो इंडस्ट्री में किशोर कुमार से जुड़े कई किस्से मशहूर हैं, लेकिन उनके जन्मदिन पर हम आपको उनसे जुड़े कुछ बेहद दिलचस्प किस्से बताते हैं।
किशोर कुमार की पर्सनल लाइफ
किशोर कुमार की निजी जिंदगी की बात करें तो उनके पिता का नाम कुंजालाल गांगुली था और माता का नाम गौरी देवी था। वह अपने सारे भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। आपको ये जानकर भी हैरानी होगी की सुरों के सरताज यानी किशोर कुमार का असली नाम किशोर कुमार नहीं बल्कि आभास कुमार गांगुली था, लेकिन अन्य बहुत से सितारों की तरह उन्होंने जब फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा तो अपना नाम किशोर कुमार कर लिया और इसी नाम से पहचाने गए।
खंडवा के नामी वकील थे किशोर कुमार के पिता
किशोर कुमार के पिता भी एक बड़ा नाम थे। वह खंडवा के बहुत बड़े वकील थे। किशोर ने अपने फिल्मी सफर में 'मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू', 'नीले नीले अंबर पर', 'गाता रहे मेरा दिल', 'मेरे सामने वाली खिड़की में' और 'मेरे महबूब कयामत होगी' जैसे कई बेहतरीन गाने दिए हैं।
आधी फीस तो काम भी आधा
वैसे तो किशोर कुमार से जुड़े कई चर्चित किस्से हैं, जिनमें से एक ये भी है कि वह तब तक कोई गाना नहीं गाते थे जब तक उन्हें उनके काम की पूरी फीस नहीं मिल जाती थी। अगर फीस आधी मिलती थी तो काम भी आधा ही करते थे। उनके इसी स्वभाव के चलते कई फिल्म निर्माता उनके साथ काम करने से कतराते थे।
घर के बाहर लगवाए थे खोपड़ी और हड्डियां
किशोर कुमार को लोगों से ज्यादा मिलना पसंद नहीं था। खासतौर पर घर पर लगातार आने वाले मेहमानों से वह परेशान रहते थे। ऐसे में उन्होंने एक तरकीब निकाली और घर के बाहर हड्डियां और खोपड़ी लगवा दीं, ताकि डर के मारे उनसे ज्यादा लोग मिलने ना आएं। उन्होंने अपने घर के बाहर लिखवाया था- 'किशोर से सावधान।'
घर बुलाकर राजेश खन्ना का लिया था इंटरव्यू
किशोर कुमार अपनी अजीब शर्तों के लिए भी बहुत मशहूर थे। राजेश खन्ना के लिए 'आराधना' फिल्म बहुत बड़ा ब्रेक था। इस फिल्म के संगीत पर काम चल रहा था। इसके संगीतकार थे और एस डी बर्मन, इसके अलावा उनके बेटे आर डी बर्मन के असिस्सटेंट म्यूजिक डायरेक्टर थे। इसी बीच तय हुआ कि किशोर कुमार से राजेश खन्ना के लिए गाना गवाया जाए। एस डी बर्मन और शक्ति सामंत ने किशोर कुमार को धुन सुनाई। तब किशोर दा ने एक अजीब शर्त रख दी और कहा कि गाना तभी गाऊंगा जब हीरो को देख लूंगा। जब बर्मन दा ने इसके पीछे की वजह पूछी तो किशोर दा ने जवाब दिया- 'मैं नहीं चाहता कि किसी भी ऐरे-गैरे हीरो के लिए गाता फिरूं।' तय हुआ कि राजेश खन्ना किशोर दा के पास जाएंगे।
राजेश खन्ना से पूछे थे सवाल
राजेश खन्ना किशोर कुमार के घर पहुंचे, तब किशोर दा ने उनसे पूछा- 'फिल्म क्यों करना चाहते हो?' राजेश खन्ना ने जवाब दिया- 'मैं लोगों की सेवा करना चाहता हूं।' किशोर दा ने फिर पूछा- 'फिल्मों में काम करने से कैसी सेवा होगी?' राजेश खन्ना कहते हैं- 'फिल्मों से लोगों का मनोरंजन होगा और मनोरंजन भी एक तरह की सेवा है।' ये सुनकर किशोर दा खुश हो गए और इसी के साथ वह राजेश खन्ना के लिए गाने को तैयार हो गए। आराधना का गाना 'मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू' ने ऐसी धूम मचाई कि राजेश खन्ना को हीरो से स्टार बना दिया।