'तेरी दीवानी', 'सईयां', 'चांद सिफरिश', 'यूं ही चला चल राही', 'या रब्बा', 'अलाह के बंदे हंसते' और 'टूटा टूटा एक परिंदा' जैसे सुपरहिट गाने को अपनी आवाज देने वाले कैलाश खेर आज 7 जुलाई को अपना 51वां जन्मदिन मना रहे हैं। कैलाश खेर का नाम आज इंडस्ट्री के टाॅप सिंगर्स की लिस्ट में शुमार है। अपनी अलग आवाज और अंदाज से बॉलीवुड में पहचान बनाने वाले कैलाश खेर का जन्म उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में हुआ था। उनके पिता पंडित मेहर सिंह खेर कश्मीरी पंडित थे और लोक गीतों में भी रुचि रखते थे। अपने पिता को देख कैलाश को भी संगीत का जुनून बचपन से ही चढ़ गया था और उन्होनें 4 साल की उम्र से गाना शुरू कर दिया था। लेकिन बता दें कि कैलाश खेर की जिंदगी इतनी आसान नहीं रही। उनके जीवन के एक ऐसा दौर भी आया था जब डिप्रेशन की वजह से वो आत्महत्या करने वाले थे। जानिए आखिर उनकी जिंदगी में ऐसा क्या हुआ था।
संगीत के लिए घर-परिवार छोड़ा
दरअसल, कैलाश खेन ने जब गायकी को अपनी जिंदगी बनाने की ठानी तो उनके परिवार ने इसका विरोध किया। जिसकी वजह से कैलाश को उनके खिलाफ जाना पड़ा और इसके लिए उन्होंने केवल 14 साल की उम्र में ही अपना घर-परिवार छोड़ दिया। घर छोड़कर वह संगीत की बेहतर शिक्षा लेने के लिए दिल्ली आ गए थे। इस दौरान कैलाश काफी घूमे-फिरे। वो जगह-जगह जाकर लोक संगीत के बारे में पढ़ने लगे। इसके बाद उन्होंने काफी संघर्ष किया। इतनी कम उम्र में इस रास्ते पर निकलना उनके लिए आसान नहीं था। गुजारा के लिए कैलाश बच्चों को संगीत के ट्यूशन देने लगे और इस पैसे से अपने खाने, पढ़ाई और संगीत का खर्चा निकालते थे।
डिप्रेशन की वजह से करना चाहते थे आत्महत्या
कैलाश खेैर ने कुछ साल पहले एएनआई से बात करते हुए कई खुलासे किए थे। इस दौरान उन्होंने बताया कि उनकी जिंदगी में सिंगर बनने से पहले क्या-क्या हुआ था। सिंगर ने बताया कि जिवनयापन के लिए उन्होंने कई चीजें करने की कोशिश की। 20-21 साल की उम्र में उन्होंने अपने एक दोस्त के साथ हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्ट बिजनेस शुरू किया। लेकिन अफसोस इसमें कैलाश और उनके दोस्त को इसमें भारी नुकसान हुआ। इसके बाद वो ऋषिकेश गए, जहां पंडित बनने के लिए गए थे। वहां पहुंचकर उन्हें लगा कि वो वहां फिट नहीं बैठ रहे। उनके ज्यादातर साथी उनसे कम उम्र के थे। ऐसे में विचारों में मतभेद रहता था। इस काम से भी मन हटने के बाद कैलाश खेर को लगा कि वो हर चीज में असफल हैं। इस बात से काफी निराश हो गए और डिप्रेशन में चले गए। इस दौरान उन्होंने आत्महत्या जैसा मुश्किल कदम भी उठा लिया। वो गंगा नदी में छलांग लगा दिए, लेकिन 'घाट पर मौजूद एक आदमी ने तुरंत गंगा में छलांग लगा दी और उसने कैलाश खेर को बचा लिया।
इस गाने ने बदली किस्मत
हालांकि कैलाश खेर ने जिंदगी में आए तमाम उतार-चढ़ाव देखने के बाद भी हार नहीं मानी और उन्होंने आगे बढ़ने के लिए खूब मेहनत की। कैलाश खेर शुरुआत में जिंगल गाया करते थे, लेकिन फिर एक दिन उन्हें फिल्म अंदाज में एक 'सूफियाना' गाना गाने का चांस मिल गया। इस गाने का नाम था रब्बा इश्क न होवे। कैलाश खेर ने पूरी शिद्दत के साथ ये गाया गाया और रातों-रात सुपरस्टार बन गए। इसके बाद कैलाश अपनी आवाज की वजह से लोगों के बीच छा गए।