जॉन अब्राहम हिंदी सिनेमा में पिछले 2 दशक से काम कर रहे हैं और इंडस्ट्री के टॉप स्टार्स में से एक हैं। अभिनेता ने कई बेहतरीन फिल्मों में काम किया है, इसके बाद भी उन्हें लगता है कि उन्हें निर्माताओं को उन पर पूरी तरह से विश्वास नहीं है। 'विक्की डोनर', 'मद्रास कैफे', 'बाटला हाउस' जैसी फिल्मों की सफलता के बाद भी जॉन अब्राहम को लगता है कि फिल्म निर्माता उन्हें इग्नोर करते हैं। उन्हें अपने आप को साबित करने के बाद भी स्टूडियो हेड्स को अपनी फिल्म को सपोर्ट करने के लिए मनाना पड़ता है, जिसके चलते उन्हें फंडिंग और बजट को लेकर स्ट्रगल करना पड़ता है।
स्टूडियो हेड्स आज भी 100 प्रतिशत विश्वास नहीं करतेः जॉन
जॉन अब्राहम ने रणवीर अल्लाहाबादिया के साथ बातचीत में इस पर चर्चा की। उन्होंने कहा- 'मैंने विक्की डोनर का निर्माण किया है। मैंने मद्रास कैफे, बाटला हाउस जैसी फिल्में की हैं, लेकिन आज तक मुझे स्टूडियो हेड्स को यह विश्वास दिलाना पड़ा कि यह एक अलग फिल्म है और कृपया मेरी प्रक्रिया को फाइनेंस करें। आज तक उन्हें मुझ पर 100 फीसदी भरोसा नहीं है और वे मुझसे कहते हैं कि बजट बहुत ज्यादा है।'
फीस पर क्या बोले जॉन?
अभिनेता ने इस दौरान अपनी फीस के बारे में भी बात की और कहा कि वह अपनी 'औकात' से बढ़कर चार्ज नहीं करते। जॉन के अनुसार, उनकी फीस कभी फिल्म के बजट को प्रभावित नहीं करती, क्योंकि उन्हें लगता है कि अगर उनकी फिल्म पैसे बनाएगी तो इसका उन्हें भी फायदा होगा।
अपने स्टैंडर्ड के हिसाब से फिल्में बनाता हूंः जॉन
जॉन कहते हैं- 'एक एक्टर के तौर पर, मेरी फीस फिल्म के बजट पर कभी हावी नहीं होती। मुझे लगता है कि अगर फिल्म कमाई करेगी तो मुझे भी इसका फायदा होगा। इसलिए मैं कभी फिल्म पर बोझ नहीं डालना चाहता। तो जो मेरी औकात है, जो मेरा स्टैंडर्ड है, मैं उसी के हिसाब से फिल्में बनाता हूं और मुझे अपने कंटेंट पर बहुत गर्व है।'
स्टूडियो हेड नहीं देते जवाबः जॉन
इस दौरान जॉन ने ये भी कहा कि कई बार स्टूडियो हेड उनके कॉल का जवाब नहीं देते। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि वह व्हाट्सएप इस्तेमाल नहीं करते। वह कहते हैं- 'पहली बात कि मैं व्हाट्सएप्प इस्तेमाल नहीं करता, मैं लोगों को मैसेज करता हूं और वो मुझे जवाब नहीं देते। मुझे कई बार लंबे समय तक जवाब नहीं मिलता। मैंने एक स्टूडियो हेड को मैसेज किया था, उसने कहा कि वह बाद में बात करेगा, लेकिन 4.5 महीने तक उसका कोई जवाब नहीं आया। मुझे बुरा नहीं लगा, लेकिन मैं एक रिप्लाई तो डिजर्व करता हूं। मुझे लगता है कि अगर लोगों को मुझ पर थोड़ा सा विश्वास होगा, तो मैं इंडियन सिनेमा को थोड़ा बदलना चाहूंगा। मैं ये नहीं कह रहा कि मैं गेम चेंजर हूं, लेकिन मैं ट्राय करना चाहूंगा।'