फिल्में बनाने वालों के लिए क्या फिल्म रिव्यू मुसीबत बन गए हैं? लंबे वक्त से ऐसी चर्चाएं रहीं कि फिल्म रिव्यूज से फिल्मों को नुकसान होता है। खास तौर पर जो रिव्यू बायस्ड होते हैं और उनका मकसद सिर्फ ट्रोलिंग से जुड़ा रहता है। कई बार इनमें पैसों का लेन-देन भी देखने को मिलता है, यानी पैसे लेकर लोग फिल्मों के गलत रिव्यू करते हैं। इस मामले को देखते हुए केरल हाई कोर्ट की ओर से नियुक्त किए Amicus curiae श्याम पैडमैन ने एक रिपोर्ट साझा की, जिसमें कहा गया कि 48 घंटे तक फिल्म का रिव्यू न किया जाए। श्याम पैडमैन का सुझाव है कि साइबर सेल की ओर से एक पोर्ट बनाया जाए, जहां पर निगेटिव रिव्यूज को लेकर शिकायतें दर्ज की जा सकें। इसी को लेकर इंडिया टीवी ने एक सर्वे किया है, जिसमें लोगों ने अपनी राय साझा की है।
लोगों की राय
इंडिया टीवी ने अपनी वेबसाइट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ये सवाल किया था कि क्या मूवी रिलीज होने के 48 घंटे के बाद ही रिव्यू आना चाहिए? इस सवाल के जवाब में 6995 लोगों ने अपने जवाब दर्ज किए हैं। 4897 लोग ऐसे हैं जिनका कहना है कि हां, ये संख्सा 70 प्रतिशत है। वहीं 22 प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जिनका कहना है कि नहीं, यानी न कहने वालों की संख्सा 1539 है। वहीं 559 लोग ऐसे हैं, जिनका कहना है कि वो इस बारे में कुछ कह नहीं सकते।
सवाल- क्या मूवी रिलीज होने के 48 घंटे के बाद ही रिव्यू आना चाहिए?
हां- 70%
नहीं- 22%
कह नहीं सकते- 8%
क्या था सुझाव
फिल्मों के रिव्यूज के इर्द-गिर्द लंबे समय से विवाद हो रहे थे। इसी को लेकर केरल हाई कोर्ट में एक पीटिशन दायर की गई। इस पर एमिकस क्यूरी ने अपनी रिपोर्ट दर्ज की। इस दौरान बताया गया कि रिव्यूज की वजह से लोग कंफ्यूज होते हैं और सही राय कायम नहीं कर पाते। सोशल मीडिया पर चलती फिल्म के गलत रिव्यूज दर्शकों पर गलत असर डालते हैं। इसी को आधार मानकर लोग फिल्म देखने या नहीं देखने का फैसला लेते हैं।
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