‘कहीं दूर जब दिन ढल जाए, सांझ की दुल्हन, बदन चुराए, चुपके से आए । मेरे ख्यालों के आंगन में, कोई सपनों के दीप जलाए।’ यह गाना फिल्म आनंद का है जो लोगों द्वारा काफी पसंद किया गया था। अमिताभ बच्चन और राजेश खन्ना स्टारर फिल्म आनंद आज भी लोग देखना बहुत पसंद करते हैं। वहीं फिल्म के गाने भी हर सिचुएशन में फिट बैठते हैं, लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि फिल्म का गाना ‘कहीं दूर जब दिन ढल जाए’ फिल्म आनंद के नहीं बनाया गया था। यह गाना फिल्म के रिलीज से पहले बनाया गया था।
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क्या है इस गाने की कहानी?
फेमस फिल्म मेकर बासु चटर्जी किसी डॉक्यूमेंटरी फिल्म की तैयारी कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने सलिल चौधरी से कहा था कि वो गुलजार से तीन गाने लिखवाएं। तब सलिल चौधरी ने कहा कि 'गाना योगेश से लिखवाते हैं, वो अच्छा लिखता है।'
तब योगेश ने तीन गाने लिखे जो मुकेश की आवाज में रिकॉर्ड किए गए। हालांकि बासु चटर्जी की फिल्म बंद हो गई और वो गाने एक बड़े प्रोड्यूसर लक्ष्मण ने खरीद लिया। वो तीनों गाने जब पॉपुलर फिल्ममेकर ऋषिकेश मुखर्जी ने सुने तो वो तीनों गानों को खरीदना चाहते हैं क्योंकि फिल्म आनंद में कई सिचुएशन में ये गाने फिट बैठ रहे थे। उसमें से लक्ष्मण जी ने दो गाने दे दिए।
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उनमें से एक गाना था ‘कहीं दूर जब दिल ढल जाए।’ और इसी गाने की वजह से 10 साल से स्ट्रगल करने लिरिसिस्ट योगेश को पहचान मिली। योगेश ने अपने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि ये गाना उनके दिल के बहुत करीब है क्योंकि इस गाने की हर लाइन उनके लाइफ के सिचुएशन पर बेस्ड है।
वहीं वो दूसरा गाना जो ऋषिकेश मुखर्जी ने फिल्म आनंद के लिए चुना था वो था‘जिंदगी कैसी है पहेली हाय, कभी तो हसाए, कभी ये रुलाये।’ ये गाना मन्ना डे की आवाज में रिकॉर्ड हुआ था, जो योगेश ने ही लिखा था। ऐसे में ये दो गाने जो फिल्म के लिए बने ही नहीं थे, आनंद फिल्म को सुपरहिट बनाने में भागीदार बन गए।