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Exclusive: क्या Gadar 2 में तारा सिंह को पाकिस्तान में कैद कर पाएगा ये विलेन? 'पठान' को भी कर चुका है परेशान

Gadar 2 Villen Manish Wadhwa: सनी देओल की फिल्म 'गदर 2' अब सिनेमाघरों में रिलीज के लिए तैयार है। फिल्म में विलेन का रोल निभाने वाले मनीष वाधवा ने इंडिया टीवी से खास बातचीत की है।

Reported By : Joyeeta Mitra Suvarna Edited By : Ritu Tripathi Published : Aug 03, 2023 16:25 IST, Updated : Aug 03, 2023 16:25 IST
Gadar 2
Image Source : INDIA TV Gadar 2

Gadar 2 Villen Manish Wadhwa: सनी देओल की 'गदर: एक प्रेम कथा' को रिलीज हुए भले ही 22 साल हो चुके हैं, लेकिन आज भी ये फिल्म लोगों की आंखों में आंसू ला देती है। तारा सिंह और सकीना की आगे की कहानी 'गदर 2' में दिखाई जाएगी, जिसका ट्रेलर हाल में ही रिलीज हुआ है। ट्रेलर की जमकर तारीफ हो रही है। फिल्म धमाकेदार डायलॉग्स से भरी हुई है। फिल्म और सनी देओल की एक्टिंग की तारीफ न सिर्फ उनके फैंस, बल्कि क्रिटिक्स भी कर रहे हैं। 'गदर 2' कहनी में सारे पुराने किरादर है, बस कमी है तो सकीना के पिता अशरफ अली यानी अमरीश पुरी की।  'गदर 2' में अशरफ अली के विलेन वाले किरदार की जगह मनीष वाधवा नजर आएंगे। उनका किरदार अशरफ अली वाले किरदार से अलग है। एक्टर मनीष वाधवा के किरदार को और गहराई से समझने के लिए इंडिया टीवी ने खास बातचीत की।

सवाल - मनीष जी आपने इतना सारा काम किया है चाहे वह चाणक्य हो पठान में भी आपने काफी अच्छा काम किया है,और यह गदर दुगना धमाल मचाएगी? 

मनीष: कोशिश अवश्य है और दर्शकों ने ट्रेलर को इतना प्यार दिया है। देखिए दर्शकों का प्यार है और आगे भी ऐसे ही प्यार मिलता रहे।

सवाल: हर कोई यह कह रहा है कि अगर किसी ने सकीना तारा सिंह के कैरेक्टर को याद है, तो वहीं अशरफ अली का जो अंदाज था उसे बहुत यादगार माना जाता है। आपने इस किरदार से क्या सीखा?

मनीष: अशरफ अली को कौन भूल सकता है, अमरीश जी ने किया हुआ है ये,  अशरफ अपने आप में एक ऐसा रोल है कि मेरी जहन से अभी तक नहीं गया है। अभी मैंने 9 जून को फिर देखा फिर मुझे रिलाइज हुआ, उनके जीवन का इतना कमाल का कैरेक्टर है मेयर की जिम्मेदारी ईश्वर ने मुझे दी है। आगे देखिए क्या होता है।

सवाल: लेकिन शायद किरदार थोड़ा अलग है, वह सकीना के पिता थे, कहानी ही अलग थी पिता के तौर पर जो उन्हें करना था उन्होंने किया। लेकिन यह जो जनरल है यह कैसा है?

मनीष: जी बिल्कुल, इसका एक ही टारगेट है तारा सिंह और उसका बेटा उत्कर्ष (जीते)और हिंदुस्तान। मतलब अब तक हिंदुस्तान के अच्छा-अच्छा बोलते आया हूं मैं। यह कैरेक्टर हिंदुस्तान के खिलाफ है। लेकिन सब लोग देखेंगे तो डेफिनटली बोलेंगे कि यह गलत बोल रहा है अपने आप मैं विलेन बन जाउंगा।

सवाल:  मुझे याद है गदर का एक इवेंट था और अमरीश पुरी का नाम आते ही सनी देओल की आंखों में आंसू आ गए थे। आज भी कहते हैं कि सनी 'अमरीश जी,अमरीश जी' तो जब आप शूट कर रहे थे, फिल्म को उस समय कैसा माहौल था जायज है आप लोगों ने मिस किया होगा।

मनीष: सबसे पहले जब मैं उनसे मिला ना तो उन्होंने पहला मुझे जो वर्ड्स कहे वह थे कि मनीष जी मैंने आपका काम देखा है, आप अच्छा काम करते हैं लेकिन यह गदर है, उसमें अमरीश पुरी थे। आपको लगता है क्या आप यह कर पाएंगे? इस बात से आप समझ सकते हैं कि सनी पाजी अमरीश पुरी को कितना प्यार करते हैं।

सवाल: मनीष यहां पर पहुंचने का जो रास्ता जो है कहीं से उड़ते उड़ते खबर कानों तक आई थी कि यह साउथ के जरिए हुआ है आपने एक बहुत ही जबरदस्त किरदार निभाया था, तो यह कहते हैं ना कि काम ही काम को खींचता है तो वह वक्त बताइए कि कैसे मुलाकात हुई? 

मनीष: मुझे कॉल आया तो मुझे लगा कि एक कॉल प्रैंक है जैसे लोग एक्टर को फोन करते हैं कि 'हां भाई आ जा ऑडिशन है! यहां से बोल रहे हैं, कभी दोस्त भी करते हैं। मुझे सच में ऐसे फील हुआ पहले लेकिन दो चार पांच लाइनों के बाद मुझे लगा यह प्रैंक नहीं है। यह रियल कॉल है मैंने कहा ठीक है, उन्होंने मुझसे पूछा कि आपको कुछ दिन देने होंगे हमें लगता है कि आप बिजी हैं। सोर्सेस से पता चला है किसी मैनेजर ने कहा है आपके। मैंने कहा, अच्छा! ऐसा कुछ नहीं है, मैं जरूर करूंगा। तो उन्होंने कहा ठीक है। आप हैदराबाद आइए, हमें मिलिए, मैं जाकर मिला। मुझे वह फिल्म मिल गई। देखिए जैसे काम को काम की बात हुई, वहां फाइट के दौरान शायद पहले ही दिन मेरे पैर में चोट आ गई। उसके बावजूद भी हमारी जो शूटिंग है, वह कैंसिल नहीं हुई। हम 5 दिन आगे और एक्शन करते रहे। शायद उनको मेरा काम अच्छा लग गया, अनिल जी ने मुझसे पूछा, अनिल जी ने अगर ना पूछा होता कि, 'भैया! हमें विलेन नहीं मिल रहा है। हमें विलेन चाहिए।'  मास्टर रवि वर्मा जी ने वो सीन दिखाया, फोन में ऑन द वे और उन्होंने देखा। बॉलीवुड से टॉलीवुड में गया और फिर बॉलीवुड में आया।

सवाल: अच्छा मनीष अनिल शर्मा ने ही कहा था कि, जो गदर थी वो रामायण थी। क्योंकि तारा सिंह सकीना को घर लेकर आए वापस। 'गदर 2' जो है वह महाभारत है। क्योंकि, अभिमन्यु वहां फंस गया है, तो इस पर आपका नजरिया क्या है

मनीष: देखिए रावण और कंस तो हर जगह है यह हर युग में है तो पहले रावण थे हमारे अशरफ अली तो इस बार आप समझ लीजिए कंस होंगे। तो कंपेयर तो नहीं हो सकता, हर युग में कोई ना कोई आएगा ही जो चाहेगा की महाभारत ना हो रामायण ना हो। सब कुछ हमारे फेवर में हो। लेकिन ऐसा कुछ होता नहीं है। 

सवाल: लेकिन आजादी के मौके पर उसके आसपास यह फिल्म रिलीज हो रही है, हम बात कर रहे हैं भारत और पाकिस्तान की लड़ाई जो युगों से चल रहा ये इतना सेंसिटिव टॉपिक है कि आज तक शायद इस साल भी नहीं हो पाया तो एक्टर के तौर पर क्योंकि हर बार बड़े पर्दे पर फिल्मों के जरिए बहुत सारी ऐसी बातें कनवे की जाती हैं कि अमनशांति को ही हमेशा प्रमोट किया जाता है। एंड ऑफ द डे रास्ता एक ही है। ऐसे में चाणक्य के तौर पर बोलूं, आपके किरदार के तौर पर बोलूं, जो आप गदर में निभा रहे हैं पाकिस्तान से तो आ ही नहीं रहे हैं पूरे फिल्म के दौरान तो आप क्या सोचते हैं क्या समझते हैं? 

मनीष: आप किसी से भी पूछेंगे, तो सब कहेंगे कि हमें आजादी चाहिए। इन सभी नकली चीजों से, जैसे मैं चाणक्य में जो रोल था, जो मैंने सीखा की सच में एक अखंड भारत में ही और लोगों के एक साथ होने में ही भलाई है। जो विलेन के थ्रू भी बात कही जा सकती है। क्योंकि वह इतनी नेगेटिव बात करते हैं, कि आम लोगों को लगेगा कि ये गलत कर रहा है। तो हमें वो गलत नहीं करना चाहिए। चाहे वह पॉजिटिव वे से बुलवाएं या नेगेटिव वे से बुलवाएं। अगर हम उस चीज को सही तरीके से समझते हैं तो मुझे ऐसा लगता है कि वह हमारी आजादी की तरफ पहला कदम होगा, क्योंकि हमारी आजादी सिर्फ देश को आजादी मिल गई क्योंकि वहां से हमारे जो अंग्रेज थे, जिन्होंने हम पर राज किया वह चले गए जबकि ऐसा नहीं है हमने बेड़ियां अभी भी पहनी हुई है चाहे वह जात-पात की हो, चाहे वह ऊंच-नीच की हो चाहे वह किसी भी तरह से हो चाहे वह नफरत के तौर पर हो दूसरे मजहब के लिए धर्म के लिए तो मुझे ऐसा लगता है कि नहीं होना चाहिए। जैसे आपने कहा की एंड ऑफ द डे हम इंसान ही हैं। सबसे पहले इंसान हैं। बाद में हम किसी कास्ट में आते हैं।

सवाल: अच्छा! मैं बहुत देर से हैंडपंप पर मेरी नजर है। यह तो उन्होंने ने बड़ी मुश्किल से उठाया था। हां! मैंने बड़ी आसानी से उठाया है। मनीष हैंडपंप की कहानी मुझे बताइए क्योंकि आपने इसके आसपास यह जहां था गदर में आपने शूटिंग की है।

मनीष:  अपने पहली फिल्म में देखा था हैंडपंप उखाड़ा गया था तो उसी लोकेशन पर मुझे अनिल जी ने खड़ा कर दिया था और कहा कि 'भैया स्टार्ट तो तुम यहीं से करो' तो आप सोचिए, कि मुझे वह सारी चीज एक सेकंड में दिमाग के अंदर आ गई व। यहां पर ऐसा हुआ होगा, यहां पर लोग थे और यह सारी घटनाएं घटी थी। वह आईकॉनिक सीन जो है, वह आंखों के सामने घूम गया। अब आपको करना है अपने उस सीन के हिसाब से कि अब आप जनरल हैं और आपके पास सब हैं और सामने यह लोग हैं। और अब क्या करें कई हैंडपंप अंदर ही अंदर उखड़ रहे थे बहुत सारे।

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