आजकल का जो माहौल है उसमें कोई भी जबान के साथ इंसाफ नहीं हो रहा है तो जाहिर है कि उर्दू के साथ भी ऐसा ही हो रहा है और जो हमारा माहौल है। शबाना आजमी ने कहा की 'मुझे बहुत ज्यादा बुरा लगता है क्योंकि मैं एक शायरों की फैमिली से बिलॉन्ग करती हूं तो उर्दू भाषा को बिगड़िए मत।'
प्रश्न - उर्दू भाषा को रिसाइट किया जा रहा है और उर्दू पोयम की बात करें तो नए ट्राई किए जा रहे हैं इस पर आप क्या कहेंगे?
शबाना आजमी - 'देखिए सरताज का पता था कि यह बहुत अच्छे सिंगर है और पंजाबी में लिखते हैं और मैंने ब्लैक प्रिंट में इनके के साथ में काम किया है उनकी मम्मी का रोल किया था और हम शूट पर मिलते रहते थे, जानती थी कि उनको शायरी का बहुत शौक है और पंजाबी में लिखते हैं, लेकिन यह जान के बहुत हैरत हुई की उन्होंने उर्दू में भी लिखा है। बहुत ही कमाल का एफर्ट है और इन्होंने कहीं भी बिल्कुल भी एक लब्ज भी गलत नहीं गया है जरा भी गलती नहीं हुई।'
बात करें उर्दू की शायरी की तो कहीं न कहीं आज के गानों में कम नजर आते हैं तो उम्मीद करते है कि अब जो फिल्में बनेगी उनके गाने उर्दू भाषा का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करेंगे लोग और समझ पाए और पढ़ पाए?
शबाना आजमी- 'आजकल का जो माहौल है उसमें कोई भी जबान के साथ इंसाफ नहीं हो रहा है तो जाहिर है कि उर्दू के साथ भी ऐसा ही हो रहा है और जो हमारा माहौल है तमाम जबानी छोटी होती जा रही है यही कहना चाहूंगी कि जब-जब आप कोई भाषा बोले उसका इस्तेमाल करते हो तो कहिए फूल को फूल कहिए pool मत कहिए फूलों की सुगंध चली जाती है तो मैं चाहती कि जो भी जुबां आप बोल रहे हो तो पूरी तरीके से ध्यान देना चाहिए की क्या बोल रहे हैं। मुझे बहुत ज्यादा बुरा लगता है क्योंकि मैं एक शायरों की फैमिली से बिलॉन्ग करती हूं तो उर्दू भाषा को बिगाड़िए मत।'
इंडिया टीवी के साथ शबाना आजमी का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू।
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