बॉलीवुड के सदाबहार अभिनेता देव आनंद ने अपनी अदाकारी से करोड़ों दर्शकों का दिल जीता। उन्होंने सिर्फ हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में ही काम नहीं किया, बल्कि वो अंग्रेजी सिनेमा में भी अपनी एक्टिंग का जलवा दिखा चुके थे। एक्टर भले ही इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं, हो लेकिन उनकी फिल्में आज भी लोग बड़े मन से देखते हैं। आज एक्टर के जन्म को 100 साल पूरे हो गए हैं। दिवंगत अभिनेता देव आनंद की जन्मशती के इस मौके पर इस महीने के अंत में एक फिल्म महोत्सव का आयोजन भी किया जा रहा है, जिसमें उनकी क्लासिक फिल्में दिखाई जाएंगी।
जब शेफ को खुद किया देव आनंद ने फोन
देव आनंद को लोगों ने जो प्यार दिया है वह शायद किसी और स्टार को हासिल नहीं हो सका है। ऐसे कई किस्से सुनने में आते हैं जब लोगों ने सीमांओं के परे जाकर सुपरस्टार से अपना प्यार जताया। मुंबई के आईटीसी होटल में शेफ रही गुंजन गोएला ने अपने एक इंटरव्यू में बताया, 'जब देव साहब ने एक साथ रात्रिभोज के लिए मेरा निमंत्रण स्वीकार किया तो खुशी और अविश्वास दोनों भावनाएं मेरे अंदर उमड़ आईं। जब मैंने मुंबई के आईटीसी होटल से मास्टर शेफ के तौर पर देव आनंद को फोन किया तो उन्होंने खुद फोन का जवाब दिया। उन्होंने भावपूर्ण तरीके से कहा, देव बोल रहा हूं। यह बात अभी भी मेरे कानों में गूंजती है। जब मैंने पहली बार उनसे हाथ मिलाया तो मेरे हाथ कांप रहे थे।'
मां के हाथ बना खाना था पसंद
उन्होंने कहा, 'आप मेरी भावनाओं के उस सैलाब की कल्पना कीजिए जब देव आनंद ने रात्रिभोज का मेरा निमंत्रण स्वीकार कर लिया था। मुझे याद नहीं है कि मैंने कितनी बार अपने आप को आश्वस्त करने के लिए खुद को चुटकी काटी थी। हमने उनकी खान-पान की आदतों के बारे में बात की ताकि मैं उनके दिल के मुताबिक एक मेनू तैयार कर सकूं। उन्होंने कहा, मैं पंजाबी हूं, इसलिए मां के दाल छोले पसंद है। यह बात दर्शाती है कि उन्हें एक पंजाबी होने पर कितना गर्व महसूस होता था। मुझे आश्चर्य हुआ कि उनका सदाबहार लुक देसी घी में बनने वाले परांठे और उनकी लस्सी, जिसमें मक्खन की प्रचुर मात्रा होनी चाहिए उससे कैसे अछूता रहा। वह बड़े चाव से याद कर रहे थे कि कैसे उनकी मां अक्सर रसोई में उनके लिए खाना बनाती और परोसती थीं और उन्हें अपने सामने लकड़ी के एक तख्ते पर बैठाती थीं।'
विदेश में भी खाते थे भारतीय खाना
उन्होंने बताया कि उनके चेहरे की सुनहरी चमक उनके बचपन की खाने से जुड़ी यादों को दिखा रही थीं। पंजाबी भोजन के प्रति उनका प्रेम लंदन की उनकी यात्राओं के दौरान भी दिखा। उन्होंने पूर्ण देसी भोजन का आनंद लेने का कोई मौका नहीं छोड़ा। क्या उन्हें विभिन्न प्रकार के समुद्री भोजन, यूरोपीय मेनू द्वारा पेश की जाने वाली स्वादिष्ट मिठाइयों ने लुभाया नहीं था? अपनी प्रसिद्ध निश्छल मुस्कान के साथ उन्होंने स्वीकार किया कि उन्हें ठंडे कोला की तुलना में गर्म चॉकलेट पसंद है। उन्होंने जीवन में अंतिम 10 वर्षों में मांसाहार के बजाय शाकाहारी व्यंजन पसंद किए। उन्होंने कहा कि मैंने देव साहब से पूछा कि वह हमेशा अपने स्कार्फ को इतने स्टाइलिश ढंग से कैसे पहन पाते हैं। उन्होंने अपनी विशिष्ट तरंग के साथ उत्तर दिया, 'अपने आप में आत्मविश्वास रखें और उन तत्वों से दूर रहें जो आपको नीचे धकेलते हैं या नकारात्मक भावनाएं देते हैं।'
खट्टा खाना था पसंद
शेफ आगे बताती हैं, 'मुझे याद है कि जब हम भोजन कर रहे थे तो रेस्तरां मैनेजर उन्हें शुभकामना देने आया था। उनके जाते ही देव साहब ने मुझसे उनके बारे में ऐसे बात की जैसे वे उन्हें बहुत पहले से जानते हों। उस दोपहर को याद करते हुए, मैं कह सकती हूं कि उन्होंने जीवन के साथ उसी तरह रोमांस किया जैसे उन्होंने अपने भोजन का स्वाद लिया था। उन्हें खट्टा भोजन खाने में आनंद आता था, लेकिन वे इसको लेकर बेहद सचेत थे ताकि वे अपने गले की रक्षा कर सकें।'
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