बॉलीवुड में कई स्टार्स हैं, जिन्होंने दूसरे देश से आकर बॉलीवुड में नाम कमाया और आज इंडस्ट्री के टॉप स्टार्स में शुमार हैं। इनमें हेलेन, एमी जैक्सन से लेकर कैटरीना कैफ, जैकलीन फर्नांडिस जैसी हसीनाएं भी शामिल हैं। लेकिन, क्या आप उस भारतीय एक्टर को जानते हैं, जिसने विदेश में अपनी एक्टिंग का डंका बजाया। इस एक्टर ने एक-दो नहीं बल्कि कई सक्सेसफुल हिंदी फिल्मों में काम किया और नामी एक्टर्स को एक्टिंग की एबीसी तक सिखाई। लेकिन, इसके बाद भी वह इंडस्ट्री में वो सफलता हासिल नहीं कर पाए, जिसकी उन्हें उम्मीद थी। हालांकि, एक दूसरे देश में ये एक्टर ऐसा छाया कि इनकी तुलना रोमांस किंग शाहरुख खान से होने लगी और ये बांग्लादेश के एसआरके बन कर छा गए।
कौन है बांग्लादेशी फिल्मों का एसआरके?
बॉलीवुड में कई हिट फिल्मों में काम करने वाले ये एक्टर कोई और नहीं बल्कि चंकी पांडे हैं, जिन्होंने इन दिनों हिंसा और भारी विरोध प्रदर्शन को लेकर चर्चा में छाए पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में जाकर एक्टिंग की और वहां ऐसा जादू दिखाया कि बन वह बांग्लादेश के सुपरस्टार बन गए। चंकी को बांग्लादेशी सिनेमा में खूब पसंद किया गया। चंकी पांडे को पहली बार बांग्लादेशी फिल्म का ऑफर तब मिला, जब वह 1995 में एक होटल में पार्टी कर रहे थे। चंकी की पहली ही बांग्लादेशी फिल्म ब्लॉकबस्टर रही और देखते ही देखते उनके पास बांग्लादेशी फिल्मों के ऑफर की लाइन लग गई।
चंकी पांडे की बांग्लादेशी फिल्में
चंकी पांडे की बांग्लादेशी फिल्मों की बात करें तो 'प्रेम कोरेछि बेश कोरेछि', 'मंदिरा', 'शामी केनो असामी' और 'मेयेराओ मानुष' जैसी फिल्मों में काम किया है। वहीं उनके बॉलीवुड करियर की बात की जाए तो उन्होंने 1987 में 'आग ही आग' से अपना बॉलीवुड डेब्यू किया और फिर कसम वर्दी की, तेजाब, अग्नि, जख्म, कोहराम और लूटेरे जैसी फिल्मों में काम किया। चंकी आखिरी बार लाइगर और सरदार (तमिल फिल्म) में नजर आए, जो 2022 में रिलीज हुई थीं।
माता-पिता चाहते थे डॉक्टर बनें चंकी
चंकी पांडे की पर्सनल लाइफ की बात करें तो उनके पिता एक मशहूर हार्ट सर्जन थे और उनकी मां भी डॉक्टर थीं। दोनों का ख्वाहिश थी कि उनकी तरह उनका बेटा भी डॉक्टर बने, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। चंकी पांडे का असली नाम सुयश पांडे है। अब सवाल ये उठता है कि सुयश का नाम चंकी कैसे पड़ा। दरअसल, चंकी के माता-पिता दोनों वर्किंग थे, ऐसे में उनकी देखभाल एक नैनी करती थी। वही नैनी सुयश को प्यार से चंकी कहकर बुलाती थी और बाद में धीरे-धीरे सब उन्हें इसी नाम से बुलाने लगे और तभी से उनका नाम चंकी पड़ गया।
'आंखें' ने दिलाई शोहरत
साल 1993 में डेविड धवन ने 1 दिन उन्होंने चंकी को बुलाया और चंकी से बोले-'एक फिल्म बना रहा हूं। उसमें दो हीरो होंगे। एक तो तुम और दूसरे गोविंदा।' ये फिल्म थी ‘आंखें’, जो रिलीज होते ही फिल्म सिनेमाघरों में छा गई। इसी के साथ गोविंदा और चंकी की जोड़ी भी सुपरहिट हो गई। लेकिन, फिर भी चंकी का करियर नहीं चमक पाया। इसकी एक वजह ये भी थी कि उन्होंने ऐसी कई फिल्मों में काम किया, जिसमें ढेर सारे स्टार होते थे। उनका मानना था कि अगर कोई फि्म फ्लॉप भी हो गई तो इसका ठीकरा कम से कम उनके सिर तो नहीं फूटेगा। मगर फिर एक समय आया जब मल्टीस्टारर फिल्मों का दौर भी खत्म हो गया और चंकी के लिए ये मुश्किल का सबब बनने लगा। इसी के बाद उन्होंने बांग्लादेशी फिल्मों में किस्मत आजमाई और चंकी ने मजबूरी में बॉलीवुड से बांग्लादेशी फिल्मों का रुख कर लिया।