बॉलीवुड में जब कोरोग्राफर्स की बात होती है तो सरोज खान के बाद गणेश आचार्य का नाम ही याद आता है। देश की शायद ही कोई फिल्मी हस्ती हो जिसे उन्होंने अपने इशारों पर न नचाया हो। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गणेश आचार्य ने अपने जीवन की शुरुआत झुग्गी बस्ती से की थी। एक कार्यक्रम में बात करते हुए वह इमोशनल हो गए। कोरियोग्राफर ने कहा कि उनकी सफलता के पीछे का कारण उनका काम था।
उस समय सबसे कम उम्र के कोरियोग्राफर
आचार्य ने यूथ फॉर क्वालिटी भारत महोत्सव के दौरान कहा, “मेरा जीवन एक झुग्गी बस्ती में शुरू हुआ, लेकिन आज मैं एक कोरियोग्राफर के रूप में खड़ा हूं। मैं बॉलीवुड में सबसे कम उम्र का कोरियोग्राफर था और इस उपलब्धि का एकमात्र कारण मेरे काम की गुणवत्ता थी।” 52 वर्षीय कोरियोग्राफर ने कहा कि उनके काम की "गुणवत्ता" ने उन्हें अपने "सपनों" को पूरा करने में सक्षम बनाया।
उन्होंने कहा, "यह मेरे अंदर गुणवत्ता थी जिसने मुझे अपने सपनों को पूरा करने में सक्षम बनाया। अपने अंदर भी गुणवत्ता विकसित करें। मुझे खुशी है कि मुझे क्वालिटी भारत मिशन से जुड़ने का मौका मिला, जिससे मेरी खुशी बढ़ गई है।"
मिले कई अवॉर्ड
हिंदी सिनेमा में ए-लिस्टर्स को कोरियोग्राफ करने के अलावा, आचार्य को कई सम्मानों से सम्मानित किया गया है। उन्हें 2013 में 'भाग मिल्खा भाग' के गाने 'हवन कुंड' और अक्षय कुमार-स्टारर 'टॉयलेट: एक प्रेम कथा' के 'गोरी तू लट्ठ मार' गाने के लिए सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफी के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
उन्होंने हाल ही में 'रॉकी और रानी की प्रेम कहानी' के 'व्हाट झुमका' की कोरियोग्राफी से देश को झूमने पर मजबूर किया। इसके साथ ही वह इन दिनों 'क्रैक-जीतेगा तो जिएगा' के 'रोम रोम' को कोरियोग्राफ कर रहे हैं।
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