बॉलीवुड में कई सालों से मल्टी-स्टारर फिल्मों का दौर रहा है। ऐसी कई मल्टी स्टारर फिल्मों का अमिताभ बच्चन हिस्सा भी रहे हैं। आज भी मल्टी-स्टारर फिल्मों को सफलता का फॉर्मूला माना जाता है। यही वजह है कि 'सिंघम अगेन', 'भूल भुलैया' और 'स्त्री 2' जैसी कई फिल्में इसी फॉर्मूले का इस्तेमाल कर सुपरहिट बनीं। पुराने दौर की बात करें तो 'शोले', 'कभी खुशी कभी गम से लेकर 'अमर अकबर एंथनी' तक कई फिल्मों ने सफलता की सीढ़ी इसी तरह चढ़ी। वैसे कई बार ऐसा भी होता है कि कई सितारों वाली फिल्मों को देखने लोग नहीं भी पहुंचते। आज हम ऐसी फिल्म की ही बात करेंगे जिसे चलाने में 6 सुपरस्टार भी फेल हुए। कौड़ियों के भाव कमाने वाली ये फिल्म आमिताभ बच्चन ने रिजेक्ट की, लेकिन फ्लॉप होने के बाद भी ये फिल्म कल्ट सिनेमा में गिनी जाती है।
इस वजह से अमिताभ ने नहीं की फिल्म
हम बात कर रहे हैं साल 1980 में रिलीज हुई फिल्म 'द बर्निंग ट्रेल' की, जो ट्रेन आपदा पर आधारित फिल्म थी। इस फिल्म में एक सुपर एक्सप्रेस नाम की ट्रेन दिखाई गई। पुरी कहानी इसी ट्रेन और इसमें सवार लोगों के इर्द-गिर्द है। इस ट्रेन की यात्रा दिल्ली से शुरू होकर मुंबई जाती है। इस ट्रेन की पहली यात्रा दिखाई जाती है और पहले दिन ही ट्रेन में आग पकड़ लेती है। इस फिल्म का निर्माण बीआर चोपड़ा रवि चोपड़ा ने मिलकर किया था। फिल्म में धर्मेंद्र, हेमा मालिनी, विनोद खन्ना, जीतेंद्र, परवीन बॉबी और नीतू कपूर, जैसे 6 सितारे लीड रोल में थे। फिल्म के ऐलान के दौरान अमिताभ बच्चन भी इस कास्ट का हिस्सा थे, लेकिन बाद में उन्होंने फिल्म से किनारा कर लिया। बताया गया कि अमिताभ बच्चन का शेड्यूल फिल्म के शेड्यूल से मेल नहीं खाया।
सितारों से सजी फिल्म हुई फ्लॉप
फिल्म कई और बड़े नाम भी थे। विनोद मेहरा, डैनी डेन्जोंगपा, नवीन निश्चल, सिमी गरेवाल, आशा सचदेव, नजीर हुसैन, इफ्तिखार, जगदीश राज, मैक मोहन, रंजीत, असरानी, केष्टो मुखर्जी, सुधा शिवपुरी और यूनुस परवेज जैसे कई नामी चेहरे फिल्म का हिस्सा बने। स्टार-स्टडेड कास्ट होने के बावजूद 'द बर्निंग ट्रेन' रिलीज होने पर भारत की सबसे बड़ी फ्लॉप फिल्मों में से एक बन गई। उस दौर में भी इस फिल्म को बनाने में 5 करोड़ रुपये की लागत आई। फिल्म ने अच्छी शुरुआत की, लेकिन इसके लंबे रनटाइम ने दर्शकों को सिनेमाघरों से दूर किया। रवि चोपड़ा निर्देशित यह फिल्म दुनिया भर के बॉक्स ऑफिस पर सिर्फ 6 करोड़ रुपये ही कमा पाई। इसके बाद कई सालों तक ये फिल्म दूरदर्शन काफी हिट हुई। सिटकॉम पर इस फिल्म को देखना लोग आज भी पसंद करते हैं और यही वजह है कि इसे देर से ही सही लेकिन कल्ट क्लासिक का दर्जा मिला।
भारत सरकार को नहीं दिया मुआवजा
साल 1980 की इस फिल्म को बनने में पांच साल लगे थे, क्योंकि इसके निर्माण के लिए असली ट्रेन की जरूरत थी, साथ ही वास्तविकता दिखाने के लिए इस ट्रेन में असल आग लगाई गई थी। इसे सुविधाजनक बनाने के लिए निर्माताओं ने भारत सरकार से एक असली ट्रेन किराए पर ली थी। जब फिल्म की शूटिंग हो रही थी तो ट्रेन और अन्य रेलवे संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया, जिससे करोड़ों का नुकसान हुआ। भारत सरकार ने निर्माता से मुआवजा भी मांगा, लेकिन बीआर चोपड़ा ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि बॉक्स ऑफिस पर फिल्म की असफलता के कारण वे पहले से ही कर्ज में डूबे हुए हैं।