Sunday, December 22, 2024
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DMDK संस्थापक विजयकांत की मौत, कोविड पॉजिटिव होने के बाद वेंटीलेटर पर थे एक्टर

देसिया मुरपोक्कू द्रविड़ कड़गम (डीएमडीके) के संस्थापक और महासचिव विजयकांत के निधन की खबर सामने आई है। तमिल सिनेमा के दिग्गज एक्टर एक निजी अस्पताल में भर्ती थे, जिसके बाद गुरुवार की सुबह उनकी मौत हो गई।

Written By: Jaya Dwivedie @JDwivedie
Published : Dec 28, 2023 9:32 IST, Updated : Dec 28, 2023 11:21 IST
DMDK founder Vijayakanth, Actor Vijayakanth
Image Source : X विजयकांत।

देसिया मुरपोक्कू द्रविड़ कड़गम (डीएमडीके) के संस्थापक और महासचिव विजयकांत की चेन्नई के एक निजी अस्पताल में मौत हो गई है। 'कैप्टन' विजयकांत को अस्पताल में भर्ती किए जाने के बाद वेंटिलेटरी सपोर्ट पर रखा गया था। विजयकांत का निधन 71की उम्र में हुआ है। डीएमडीके संस्थापक ने एक्टिंग की दुनिया छोड़ राजनीति में कदम रखा था। विजयकांत लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे। अस्पताल के अनुसार एक्टर के मौत की वजह निमोनिया रही। 

अस्पताल में कराया गया था भर्ती

दो दिनों पहले उनकी पार्टी डीएमडीके ने एक बयान जारी कर कहा कि विजयकांत को वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। पार्टी ने एक विज्ञप्ति में कहा, '​​शुरुआती ​​परीक्षणों में कोरोना वायरस संक्रमण की पुष्टि हुई, सांस लेने में कठिनाई को देखते हुए उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया।' इससे पहले भी विजयकांत को बुखार संबंधी बीमारी के इलाज के लिए 18 नवंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था और 11 दिसंबर, 2023 को उन्हें छुट्टी मिल गई थी।

साउथ सिनेमा से रहा पुराना नाता

दिग्गज तमिल अभिनेता और डीएमडीके के संस्थापक विजयकांत काफी समय से अस्वस्थ थे और उनकी पत्नी प्रेमलता ने कुछ दिन पहले ही पार्टी की कमान संभाली थी। वह 2011 से 2016 तक तमिलनाडु में विपक्ष के नेता भी रहे थे। राजनीति में प्रवेश करने से पहले विजयकांत एक सफल अभिनेता, निर्माता और निर्देशक थे।

2005 में किया था पार्टी का गठन

विजयकांत ने साल 2005 में देसिया मुरपोक्कू द्रविड़ कड़गम (डीएमडीके) पार्टी का गठन किया और DMDK 2011 से 2016 तक तमिलनाडु में मुख्य विपक्षी पार्टी थी। फिल्मी करियर की बात करें तो विजयकांत को कई फिल्मफेयर तमिल अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है। एक्टर को लोग कैप्टन के नाम से जानते थे। 

इन फिल्मों में अभिनय से मिली पहचान

बता दें, विजयकांत को 1979 में 'इनिक्कुम इलामाई' में कास्ट किया गया था, यह उनकी पहली फिल्म थी, जिसमें उन्होंने एक प्रतिपक्षी की भूमिका निभाई थी, जिसका निर्देशन एम. ए. काजा ने किया था। उनकी बाद की फिल्में 'अगल विलक्कू' (1979), नीरोत्तम (1980) और सामनथिप्पू (1980) बॉक्स-ऑफिस पर फ्लॉप रहीं। उनकी फिल्म 'दूरथु ईदी मुजक्कम' (1980) को भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के भारतीय पैनोरमा में प्रदर्शित किया गया था। हालांकि जिस फिल्म ने उन्हें नायक के रूप में पेश किया वह 'सत्तम ओरु इरुट्टाराई' (1981) थी, जिसका निर्देशन एस. ए. चन्द्रशेखर ने किया था। इसे हिंदी, तेलुगु, मलयालम और कन्नड़ भाषाओं में बनाया गया था। अपने शुरुआती करियर में विजयकांत ने 'सिवाप्पु मल्ली' (1981) और 'जधिक्कोरु नीधि' (1981) जैसी क्रांतिकारी और कट्टरपंथी विचारों वाली फिल्मों में अभिनय किया। इन फिल्मों में उन्होंने गुस्सैल युवा क्रांतिकारी किरदारों को बखूबी निभाया। इसके बाद उन्होंने 'ओम शक्ति' (1982) में खलनायक की भूमिका निभाई, लेकिन उसके बाद उन्होंने अपने करियर में कभी भी विरोधी किरदार नहीं निभाए।

Input- PTI

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