Amitabh Bachchan granddaughter Aaradhya Bachchan: बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन की पोती व अभिषेक और ऐश्वर्या बच्चन की बेटी आराध्या बच्चन ने दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी। इस याचिका में उन्होंने कई चैनलों और यू-ट्यूब पर अपलोड करने वालों को उनकी मृत्यु/ गंभीर बीमारी के बारे में फर्जी खबरें पोस्ट करने से रोकने की मांग की थी। जिसके बाद आज गुरुवार को इस मामले में सुनवाई हुई और कोर्ट ने ऐसी गलत खबर प्रसारित करने वालों को फटकार लगाई है। आराध्या के पक्ष में फैसला आने के बाद उनके वकीलों ने इस मामले पर खुलकर बात की है।
क्या बोले आराध्या के वकील
इस आदेश के आने के बाद मामले पर आराध्या के वकीलों की टीम ने मीडिया से बात की है। आनंद और अमित नाइक ने कहा, "यह 3 मामलों पर एक ऐतिहासिक फैसला है - निषेधाज्ञा जो एक बच्चे की निजता को बरकरार रखती है, एक बच्चे के बारे में झूठी और फर्जी खबरें फैलाने के खिलाफ जो एक बच्चे के लिए हानिकारक है और मानहानि के खिलाफ है। बच्चों के साथ समानता का व्यवहार किया जाना चाहिए - चाहे सेलिब्रिटी बच्चे हों या अन्य। अदालत ने कहा है कि बिचौलियों की ऐसी फर्जी खबरों पर शून्य सहिष्णुता की नीति होनी चाहिए जो एक बच्चे के लिए हानिकारक है जैसे कि बाल अश्लीलता के लिए।"
सेलिब्रिटी किड के पक्ष में इस तरह का पहला आदेश
वकील दयान कृष्णन ने तर्क दिया कि इसके सामने, ये वीडियो झूठे, मानहानिकारक हैं, और दर्शकों का ध्यान आकर्षित करने और दर्शकों की संख्या और चैनल की सदस्यता बढ़ाने के इरादे से अपलोड किए गए हैं। यह अपनी तरह का पहला आदेश है जो किसी नाबालिग सेलिब्रिटी किड के अधिकारों की रक्षा करता है।
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ये तीन मामले थे याचिका में शामिल
यह मुकदमा अभिषेक बच्चन द्वारा आराध्या के पिता और प्राकृतिक अभिभावक के रूप में दायर किया गया था। एक सेलिब्रिटी अभिनेता के रूप में उनकी व्यक्तिगत जिंदगी और निजता भी है। यह मुकदमा तीन अपकृत्यों का दावा करता है: 1) निजता का उल्लंघन, 2) मानहानि, और 3) व्यक्तित्व अधिकारों का उल्लंघन। इस मामले को दिल्ली हाई कोर्ट में दयान कृष्णन, अमित नाइक और प्रवीण आनंद, आराध्या और अभिषेक के लिए पेश हुए। जिसके बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने ऐसे वीडियो और जानकारी अपलोड करने वालों के खिलाफ उल्लंघनकारी वीडियो और ऐसी किसी भी कंटेंट को अपलोड करने से रोक लगा दी है, जो गोपनीयता का उल्लंघन करती है और आराध्या बच्चन के बारे में झूठी खबर देती है। अदालत ने गूगल/यूट्यूब को उल्लंघन करने वालों का विवरण जैसे संपर्क नंबर, ईमेल आईडी आदि देने का भी निर्देश दिया है।