बॉलीवुड एक्टर मनोज बाजपेयी हिंदी सिनेमा के बेहतरीन एक्टर्स में गिने जाते हैं। वे तीन दशक से भी ज्यादा समय से फिल्मी दुनिया में सक्रिय हैं। इस दौरान उन्होंने कई यादगार फिल्में भी की हैं। इन्हीं में से एक फिल्म है 'शूल'। साल 1999 में रिलीज हुई इस फिल्म को आज 25 साल पूरे हो गए हैं। इसलिए आज हम आपको इस फिल्म से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें बताने जा रहे हैं। भारतीय सिनेमा में अब तक कई ऐसी फिल्में बनी हैं, जो शुरुआत में फ्लॉप रहीं और बाद में उन्हें कल्ट का दर्जा हासिल हो गया। 'शोले' से लेकर 'अंदाज अपना अपना' तक कई ऐसी फिल्में रहीं, जो रिलीज के समय तो अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाईं, लेकिन बाद में दर्शकों ने उन्हें दिल खोलकर हाथों हाथ लिया। इसी लिस्ट में फिल्म 'शूल' भी शामिल है। रिलीज के समय यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप रही, लेकिन समय के साथ लोगों की तारीफो के जरिए कल्ट बन गई।
नवाजुद्दीन ने 2500 रुपये में की थी फिल्म
नवाजुद्दीन सिद्दीकी बॉलीवुड के मंझे हुए कलाकारों में से एक हैं। आज उनकी फीस करोड़ों में है, लेकिन शुरुआती दिनों में फिल्मों के लिए बहुत कम पैसे ऑफर किए जाते थे। फिल्म 'शूल' के लिए उन्हें 2500 रुपये देने का वादा किया गया था। फिल्म में उन्होंने वेटर की भूमिका निभाई थी। इस रोल के लिए नवाजुद्दीन की आवाज भी डब की गई थी। वैसे इस फिल्म की रिलीज के बाद भी नवाजुद्दीन को पहचान नहीं मिल पाई थी।
सयाजी शिंदे को मिली थी पहचान
शूल फिल्म का मुख्य आकर्षण इसका विलेन था। सयाजी शिंदे ने फिल्म में विलेन की भूमिका निभाई थी। उन्होंने अपनी पहली फिल्म से ही दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ी थी। बताया जाता है कि उनका किरदार बिहार के बाहुबली नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन पर आधारित था।
शिल्पा का गाना आज भी सुपरहिट है
इस फिल्म का 'यूपी-बिहार लूटने' गाना चार्टबस्टर साबित हुआ था। शिल्पा शेट्टी ने अपने डांस से गाने को और भी खूबसूरत बना दिया था। इस गाने की एक और दिलचस्प बात यह है कि इसे कोरियोग्राफ नहीं किया गया था। शिल्पा ने कोरियोग्राफर अहमद खान के निर्देश पर अपनी मर्जी से इस गाने पर डांस किया था।
राम गोपाल वर्मा ने बदल दी अपने असिस्टेंट की किस्मत
फिल्म 'शूल' का निर्देशन ईश्वर निवास ने किया है। शुरुआती दिनों में वे राम गोपाल वर्मा के असिस्टेंट के तौर पर काम करते थे। कहा जाता है कि उन दिनों वे डायरेक्टर के ऑफिस में लोगों को चाय पिलाया करते थे। हालांकि, रामू को उन पर शुरू से ही भरोसा था। यही वजह है कि उन्होंने फिल्म 'शूल' की कमान ईश्वर निवास को सौंपी। उन्होंने इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया भी और एक बेहतरीन फिल्म बनाई। शूल के बाद उन्होंने 'लव के लिए कुछ भी करेगा', 'दम', 'बर्दाश्त', 'दे ताल' और 'टोटल स्यापा' जैसी फिल्मों का निर्देशन भी किया।