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Women's Day 2021: 'वो स्त्री है... कुछ भी कर सकती है' इन फिल्मों को देखकर आप भी मानेंगे ये बात

8 मार्च को दुनिया विश्व महिला दिवस मनाएगी। आइए हम आपको कुछ ऐसी फिल्मों के बारे में बताते हैं जिसने स्त्रियों क्षमता को दुनिया को दिखाया है।

Written by: Himanshu Tiwari
Updated : March 07, 2021 13:25 IST
Women’s Day
Image Source : FILM POSTERS Women’s Day 2021

'वो स्त्री है... कुछ भी कर सकती है', फिल्म 'स्त्री' में बोला गया यह डायलॉग यूं ही नहीं था। इस डायलॉग के वाकई अहम मायने हैं। अगर स्त्री ठान ले तो वो हर काम कर सकती है जो वो करना चाहती है। फिल्म 'स्त्री' की एक महिला पात्र की आड़ में जो बात कहने की कोशिश की गई है, उसे आज के वक्त में समझना बेहद जरूरी है। असल दुनिया में एक स्री और अपनी जिंदगी में कई सारे रोल निभाती है, कभी मां बन कर ममता का आंचल फेरती है, कभी बड़ी बहन बन कर अच्छे और बुरे में फर्क समझाती है। कभी प्रेमिका बन कर प्यार का अहसास कराती है तो कभी पत्नी बन कर जिंदगी भर साथ चलती है। इन सब के अलावा यदि एक स्त्री ठान ले तो वह देश की पहली नागरिक यानी राष्ट्रपति भी बन सकती है। अंतरिक्ष में जा कर खगोलीय खोज कर सकती है। सेना में भर्ती हो कर देश की सेवा कर सकती है, बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी का हिस्सा हो कर इकॉनमी को नए मुकाम पर पहुंचा सकती है। इसके अलावा ऐसा कौन सा काम नहीं है जो एक स्त्री नहीं कर सकती है! महिलाओं की इन्हीं क्षमता को समर्पित बॉलीवुड में कई फिल्में बनी हैं जिन्हें याद करना जरूरी हो जाता है। 

आइए उन फिल्मों के बारे में जानते हैं जिसने दुनिया को महिलाओं के अस्तित्व के मायने समझाए।

पिंक

पिंक वह फिल्म हैं जिसने देश को एक महिला की 'ना' का मतलब सिखाया। फिल्म यह बताती है कि एक महिला की किसी चीज में रजामंदी नहीं तो इसमें किसी तरह की जबरदस्ती नहीं होनी चाहिए। कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह क्या कपड़े पहनती हैं या वह किस की लाइफ स्टाइल को अपनाती है, उन्हें उनकी मर्जी के खिलाफ कुछ भी करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। फिल्म में अमिताभ बच्चन एक वकील की भूमिका निभाते हैं, जो बड़े परिवार के बिगड़े लड़कों के खिलाफ कानूनी लड़ाई में फंसी लड़कियों के लिए लड़ता है।

नीरजा

नीरजा भनोट, यह फिल्म एक फ्लाइट असिस्टेंट की सच्ची जीवन कहानी पर आधारित है, जिन्होंने अपनी परवाह किए बिना एक अपहरण किए गए प्लेन में सैकड़ों यात्रियों को सुरक्षित और स्वस्थ बचाया था। सोनम कपूर ने इस फिल्म में टाइटल किरदार निभाया था।

छपाक

मेघना गुलज़ार की तरफ से डायरेक्ट की गई फिल्म छपाक एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल की जिंदगी और उनकी जीत पर आधारित है। यह फिल्म ये बताती है कि ऐसे एसिड अटैक सर्वाइवर महिला अपने चेहरे को लेकर समाज के सामने आती है और अपनी लड़ाई में  एसिड की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने में कामयाब होती है। दीपिका पादुकोण ने इस फिल्म में लीड रोल निभाया है।

शकुंतला देवी

इस फिल्म में विद्या बालन मानव-कंप्यूटर कही जाने वाली शकुंतला देवी का किरदार निभाती हैं। अनु मेनन के निर्देशन में बनी इस फिल्म में सान्या मल्होत्रा ​​भी अहम भूमिका में हैं। पहली नज़र में बालन को एक छोटे बॉब के रूप में दिखाया गया था, जिसने अपनी उंगलियों पर रकम की गणना की। इस फिल्म का उद्देश्य उस महिला को समर्पित है जो गणित जैसे कठिन विषय को खेल समझती थी। विद्या ने अपने शानदार अभिनय कौशल के साथ हमेशा दर्शकों को आगे कामयाबी हासिल की है और इस फिल्म में भी उन्होंने शानदार काम किया है।

थप्पड़

तापसे पन्नू की हालिया फिल्म घरेलू हिंसा के विषय के बारे में बात करती है। इस फिल्म में एक ऐसी महिला की कहानी है जो अपने पति को बहुत प्यार करती और उसका ख्याल रखती है, लेकिन जब पति सबके सामने अपनी पत्नी को थप्पड़ मारता है, फिर वह अपने हक के लिए खड़ी होती है। यह फिल्म महिलाओं के लिए सामाजिक हीनता को दिखाती है बल्कि पितृसत्तात्मक समाज के ऊपर एक तमाजा है। फिल्म में तापसी के प्रदर्शन को आलोचकों की प्रशंसा मिल रही है, बल्कि प्रशंसक भी इस तरह के संवेदनशील विषय को उठाने के लिए उनके साहस को सलाम करते हैं। यह फिल्म इस बात पर कड़ा संदेश देती हैं कि घरेलू हिंसा का सामना करने वाली महिलाओं को अपनी आवाज कैसे उठानी चाहिए। फिल्म को अनुभव सिन्हा ने डायरेक्ट किया है।

कहानी

विद्या बालन की मुख्य भूमिका वाली फिल्म 'कहानी' एक गर्भवती, अकेली महिला की कहानी है, जिसे अपने पति की तलाश है। यह फिल्म साहस और इच्छाशक्ति की मिसाल है और कभी हार न मानने की नारी शक्ति की कहानी है। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे एक महिला, जिसने एक बार फैसला कर लिया है कि वह अपने पति की मौत का बदला लेने के लिए किसी भी अंजाम तक जा सकती है। विद्या बालन की तरफ से इस पिल्म लीड रोल निभाया गया था और सुजॉय घोष की शानदार निर्देशन के चलते कहानी महिलाओं पर शानदार फिल्मों की लिस्ट में हमेशा शामिल रहेगी।

बॉलीवुड की ये फिल्म में महिलाओं में होने वाली लीडरशिप का एक रूपक हैं। वास्तविकता तो ये है कि हर एक महिला में लीडरशिप की क्वालिटी होती है, तभी तो वह अपनी पूरी जिंदगी जिम्मेदारियों को निभाने से कभी गुरेज नहीं करती है।

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