सिनेमा को समाज का आईना इसलिए कहते आए हैं कि कई बार वो हकीकत को उस अंदाज में परोसता है कि ना तो हंसते बनता है और ना रोते। कुछ फिल्में ऐसी होती हैं जिनका क्रेज कभी खत्म नहीं हो सकता। ये फिल्में इतनी शानदार होती हैं कि वक्त की मार से भी इनकी चमक कम नहीं होती। ऐसी ही एक कल्ट क्लासिक फिल्म कही जाती है 'जाने भी दो यारों'। कुंदन शाह के निर्देशन में बनी इस फिल्म ने व्यंगात्मक अंदाज में समाज और व्यवस्था पर जिस तरह करारी चोट की है, वो आज भी उतनी ही प्रासंगिक है। इस फिल्म ने अपनी रिलीज के वक्त भले ही सफलता के झंडे ना गाड़े हों लेकिन माउथ पब्लिसिटी के चलते ये फिल्म बाद के सालों में काफी मशहूर हुई। फिल्म में पंकज कपूर, नसीरुद्दीन साह, सतीश कौशिक, ओमपुरी, रवि बासवानी, नीना गुप्ता, सुप्रिया पाठक जैसे शानदार कलाकार थे।
इन्हीं कलाकारों के बीच एक दो मिनट का रोल विधु विनोद चोपड़ा ने भी किया था। विधु विनोद चोपड़ा को कौन नहीं जानता। थ्री इडियट, मुन्ना भाई एमबीबीएस, संजू, पीके, लगे रहो मुन्ना भाई, 1942 ए लव स्टोरी, परिणीता जैसी शानदार और सुपरहिट फिल्में बनाने वाले विधु विनोद चोपड़ा भला 1983 में आई इस फिल्म में दो मिनट का रोल क्यों करेंगे। क्या ये रोल उन्होंने एक्टर बनने के लिए किया, क्या इसके लिए उन्हें अच्छी रकम मिली। कई सारे सवाल आपके मन में उठ सकते हैं कि आखिर विधु विनोद चोपड़ा दो मिनट के लिए दुशासन बनने को क्यों राजी हो गए।
इसके पीछे भी एक दिलचस्प किस्सा है। हुआ यूं कि जाने भी दो यारो..की कहानी जब कुंदन शाह के दिमाग में आई तो उन्होंने NDFC के अपने सभी दोस्तों से कहा कि इसपर फिल्म बनानी चाहिए। खुद NDFC को फिल्म का प्लाट पसंद आया और उसने 7 लाख रुपए दिए फिल्म बनाने के लिए। लेकिन सात लाख रुपए किसी भी तरह से किसी फिल्म के लिए नाकाफी हैं। तब कुंदन शाह ने पंकज कपूर, नीना गुप्ता, ओम पुरी, सतीश कौशिक और नसीरुद्दीन शाह से गुजारिश की कि वो लोग कम पैसों में फिल्म में काम करें। सभी NDFC में एक साथ थे और अच्छी यारी दोस्ती थी, इस लिहाज से सभी लोग कम पैसों में और नसीरुद्दीन साहब बिना पैसों के भी कुंदन शाह की इस फिल्म में काम करने के लिए तैयार हो गए। नसीर साहब ने फिल्म के लिए पैसा भी नहीं लिया और शूटिंग के लिए रोज घर से अपना कैमरा भी लेकर आते थे।
विधु विनोद चोपड़ा इस फिल्म के प्रोडक्शन कंट्रोलर थे। यूं मानिए कि फिल्म पर खर्च होने वाली पाई पाई का हिसाब उनको ही देखना था, वो कोशिश करते थे कि ज्यादा खर्चा ना हो ताकि फिल्म ओवर बजट न हो जाए। ये उनका काम भी था।
फिर वो दिन आया जब क्लाईमेक्स शूट हो रहा था। स्टेज पर महाभारत का सीन चल रहा था और अचानक दुशासन बनने वाला एक्टर दो हजार रुपए मांगने लगा। विधु विनोद चोपड़ा सैट पर ही उस पर चिल्ला पड़े - 'क्या मजाक बना रहा है भाई..कल ही तो 500 रुपए में बात तय हो गई थी।' लेकिन दुशासन बनने वाला एक्टर मानों अड़ा था कि दो हजार से कम में तो नहीं करूंगा। अब चोपड़ा साहब परेशान हो गए, उनके पास इतने पैसे भी नहीं थे और होते तो भी वो दो मिनट के रोल के लिए एक्टर को इतना पैसा नहीं देते। शूटिंग चल रही थी और दुशासन के रोल के लिए आवाज लगाई जा रही थी। समय नहीं था कि दूसरा एक्टर लाया जाए और ना ही अंटी में इतने रुपए। तब विधु विनोद ने तुरंत दुशासन का कॉस्टयूम पहना और सेट पर पहुंच गए।
दुशासन को आया देख सेट पर मौजूद कुंदन शाह और दूसरे सभी कलाकार भौंचक हो गए। ये कौन है, अरे विधु। लेकिन उस वक्त विधु दुशासन के अवतार में थे और बिना देर किए वो शूटिंग करने लगे। कुंदन शाह मंद मंद मु्स्कुरा रहे थे। विध विनोद चोपड़ा ने जिस अंदाज में दुशासन का रोल किया उसे देखकर हंसी छूटनी तय है। उन्हें देखकर एकबारगी यकीन नहीं होगा कि दुशासन बना ये शख्स विधु विनोद चोपड़ा है।
और तो और दुशासन के अलावा विधु विनोद चोपड़ा ने फिल्म में एक फोटोग्राफर का रोल भी किया जो बिल्डिंग के ऊपर तरनेजा बने पंकज कपूर का इंटरव्यू लेने जाता है। ये दोनों रोल करने के लिए विधु विनोद चोपड़ा इसलिए आगे आए क्योंकि वो दो दो मिनट के रोल के लिए दूसरों लोगों को पैसा नहीं देना चाहते थे। एक कंजूस प्रोडक्शन कंट्रोलर कैसे एक मशहूर फिल्ममेकर में तब्दील हो गया, ये उनकी काबिलियत को दिखाता है।
बाद के सालों में खुद विधु विनोद चोपड़ा ने अपने इस रोल का जिक्र किया और बताया कि कैसे उन लोगों ने काफी कम बजट में इस शाहकार फिल्म को बनाया।