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जानें क्यों बतौर कलाकार कभी संतुष्ट नहीं हो सकती तनिष्ठा चटर्जी

तनिष्ठा चटर्जी जागरण फिल्म फेस्टिवल में हिस्सा लेने के लिए आई थीं। 'एंग्री इंडियन गॉडेस' 'शैडोज ऑफ टाइम', 'पाच्र्ड' और 'डॉक्टर रुक्माबाई' जैसी फिल्मों में अपनी अभिनय क्षमता का लोहा मनवाने के बाद भी वह अपने करियर से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं।

IANS
Updated : July 04, 2017 7:17 IST

tannishtha chatterjee

tannishtha chatterjee

सोशल मीडिया पर कलाकारों को ट्रोल करने का चलन आजकल काफी बढ़ गया है और उन्हें नकारात्मक टिप्पणियों और आलोचना का भी सामना करना पड़ता है, लेकिन तनिष्ठा इन सब बातों से प्रभावित नहीं होती हैं और नकारात्मकता को खुद से दूर रखती हैं।

तनिष्ठा ने कहा, "मैं नकारात्मक चीजों से दूर रहती हूं और आलोचना या नकारात्मक टिप्पणियों पर बिल्कुल ध्यान नहीं देती। इस तरह की टिप्पणी करने वालों को मैं ब्लॉक करना अच्छी तरह से जानती हूं। मैं हर नकारात्मक चीज को अपने जीवन में ब्लॉक रखती हूं। मैं इन सब बातों से बिल्कुल प्रभावित नहीं होती।"

अभिनेत्री ने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता फिल्म 'स्वराज' से वर्ष 2003 में अभिनय की दुनिया में कदम रखा था। तनिष्ठा का मानना है कि फिल्मों में अब बदलाव आ रहा है, महिलाओं को अच्छी भूमिकाएं मिल रही हैं। अब उनका किरदार सिर्फ पत्नी या प्रेमिका तक ही सीमित नहीं रह गया है।

उन्होंने कहा, "हमारे सिनेमा में पिछले कुछ सालों में काफी बदलाव आया है, कई महिला प्रधान फिल्में बनी हैं, जिनमें महिलाओं को अपनी अभिनय क्षमता दिखाने का मौका मिल रहा है। पहले सामाजिक फिल्मों में वे मुख्य नायक की पत्नी या प्रेमिका की भूमिका तक ही सीमित रहती थीं, लेकिन अब उन्हें अहम भूमिकाएं मिल रही हैं।"

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