मुंबई: अधिक कर लगाए जाने के विरोध में वैनिटी वैन निकाय-ऑल कैंपर वैन ऑनर्स एसोसिएशन ने 10 दिसंबर से अनिश्चतकालीन 'असहयोग आंदोलन' करने का फैसला किया है। निकाय का कहना है कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा लगाया कर 'अत्यधिक' है। एसोसिएशन द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, हड़ताल के चलते 250 वैनिटी वैन खाली पड़े रहेंगे, इस तरह की वैन के 500 कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे और शूटिंग में रुकावट होगी, जिसके प्रभावस्वरूप दैनिक मजदूरी पर काम करने वाले करीब 5,000 कर्मचारियों को नुकसान झेलना पड़ेगा।
एसोसिएशन ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार के उस नियम के विरोध में हड़ताल आहूत की गई है, जिसके अंतर्गत प्रतिवर्ष 1.25 लाख रुपये की दर से प्रत्येक वैन से कर वसूलने का प्रावधान है। यह 5,000 वर्ग मीटर पर लगाए गए कर के बराबर है।
एसोसिएशन के प्रेसिडेंट केतन रावल ने कहा, "सरकार एक राष्ट्र-एक कर कहने का दावा कैसे करती है? हम इसके करीब कहीं भी नहीं हैं। भारत में कहीं भी वर्ग मीटर के आधार पर किसी भी वाहन पर कर नहीं लगाया जाता है। यह केवल महाराष्ट्र में वैनिटी वैन के लिए हो रहा है।"
उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों में, वैनिटी वैन पर प्रति वर्ष 12,000 रुपये से अधिक कर नहीं है, या कुछ मामलों में एक लाख रुपये का आजीवन कर है।
केंद्र सरकार वाहन 4.0 नीति वैनिटी वैन का कर प्रति वर्ष 12,000 रुपये दिखाती है, लेकिन महाराष्ट्र आरटीओ द्वारा इसे स्वीकार नहीं किया गया है। गुजरात में 10 साल के लिए कर 57,725 रुपये है, जबकि दिल्ली में वाहन के भार के आधार पर कर लगाया जाता है। तेलंगाना और राजस्थान में यह प्रति वर्ष 12,000 रुपये है, जबकि त्रिपुरा में 68,175 रुपये का एक बार कर लगाया गया है।
रावल ने कहा, "महाराष्ट्र सरकार द्वारा इस तरह के उच्च कराधान के कारण, हम अपने व्यापार को बंद करने के कगार पर हैं।" एसोसिएशन के बयान के मुताबिक, सदस्यों ने यह भी शिकायत की थी कि सेवा कर विभाग 14 फीसदी सेवा कर का भुगतान करने के लिए फरवरी 2018 से वैन मालिकों को परेशान कर रहा था।
एसोसिएशन के महासचिव आशुतोष देसाई ने कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों ने पिछले पांच वर्षो के सेवा कर का भुगतान नहीं करने पर वैन को सील करने की धमकी दी है।