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'पद्मावती' की जंग में उमा भारती भी कूदीं, बताया ‘ऐसे लोग हैं खिलजी के वंशज’

केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने ट्विटर पर एक ओपन लेटर शेयर किया है, जिसमें उन्होंने अलाउद्दीन खिलजी को एक व्यभिचारी हमलावर बताया है...

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: November 04, 2017 16:48 IST
Uma Bharati Padmavati- India TV Hindi
Uma Bharati Padmavati

नई दिल्ली: संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावती' को लेकर विवाद गर्माया हुआ है। रणवीर सिंह, दीपिका पादुकोण और शाहिद कपूर की मुख्य भूमिकाओं वाली इस फिल्म को लेकर सियासत भी खूब हो रही है। अब इस विवाद में केंद्रीय मंत्री उमा भारती भी कूद पड़ी हैं। उन्होंने ट्विटर पर एक ओपन लेटर शेयर किया है, जिसमें उन्होंने अलाउद्दीन खिलजी को एक व्यभिचारी हमलावर बताया है। उमा ने कहा है कि वह रानी पद्मावती के विषय पर तटस्थ नहीं रह सकतीं।

उमा भारती ने अपनी चिट्ठी में लिखा है, 'तथ्य को बदला नहीं जा सकता, उसे अच्छा या बुरा कहा जा सकता है। सोचने की आजादी किसी भी तथ्य क निंदा या स्तुति का अधिकार हमें देती है। जब आप किसी ऐतिहासिक तथ्य पर फिल्म बनाते हैं तो उसके फैक्ट को वायलेट नहीं कर सकते।' उन्होंने आगे लिखा, 'रानी पद्मावती एक ऐतिहासिक तथ्य है। अलाउद्दीन खिलजी एक व्यभिचारी हमलावर था। उसकी बुरी नजर रानी पद्मावती पर थी तथा इसके लिए उसने चित्तौड़ को नष्ट कर दिया था। रानी पद्मावती के पति राणा रतन सिंह अपने साथियों के साथ वीरगति को प्राप्त हुए थे। स्वयं रानी पद्मावती ने हजारों उन स्त्रियों के साथ, जिनके पति वीरगति को प्राप्त हो गए थे, जीवित ही स्वयं को आग के हवाले कर जौहर कर लिया था।'

केंद्रीय मंत्री ने आगे लिखा, 'हमने इतिहास में यही पढ़ा है तथा आज भी खिलजी से नफरत तथा पद्मावती के सम्मान तथा उनके दुखद अंत के लिए बहुत वेदना होती है। आज भी मनचाहा रेस्पॉन्स नहीं मिलने पर कुछ लड़के, लड़कियों के चेहरे पर तेजाब डाल देते हैं, वो सब किसी भी धर्म या जाति के हों, मुझे अलाउद्दीन खिलजी के ही वंशज लगते हैं। मैंने इस फिल्म डायरेक्टर की पहले भी फिल्में देखी हैं, मैं सोचने की आजादी का सम्मान करती हूं तथा मानती हूं कि सोचे हुए को अभिव्यक्त करना का भी मानव समाज को एक अधिकार है। किंतु, अभिव्यक्ति में कहीं तो एक सीमा होती ही है। जैसे कि आप बहन को पत्नी और पत्नी को बहन अभिव्यक्त नहीं कर सकते। इसकी संभावना जानवरों में तो हो सकती है लेकिन स्वतंत्र चेतना के विश्व के किसी भी देश के किसी भी समाज के लोग इस मर्यादा के उल्लंघन की निंदा ही करेंगे।'

अपने खत में उन्होंने आगे लिखा, 'इसलिए मेरा कहना यही है, मैंने तो फिल्म देखी नहीं है, किंतु लोगों के मन में आशंकाओं का जन्म क्यों हो रहा है? इन आशंकाओं का लुत्फ मत उठाइए, न इससे कोई वोट बैंक बनाइए। कोई रास्ता यदि हो सकता है, जरूरी नहीं है कि जो मैंने सुझाया है वही हो, वो रास्ता निकालकर बात समाप्त कर दीजिए। किंतु ध्यान रहे, मैं तो आज की भारतीय महिला हूं, जिस स्थिति में होंगी, भूत, वर्तमान और भविष्य के भारतीय महिलाओं के प्रति अपना कर्तव्य जरूर पूरा करूंगी।'

इससे पहले उन्होंने कई ट्वीट्स किए जिनमें उन्होंने लिखा, 'क्यों न रिलीज़ से पहले इतिहासकार, फ़िल्मकार और आपत्ति करने वाला समुदाय के प्रतिनिधि और सेंसर बोर्ड मिलकर कमिटी बनाये और वो इसपर फैसला करे।' एक और ट्वीट में उन्होंने कहा, 'रानी पद्मावती के विषय पर मैं तटस्थ नहीं रह सकती। मेरा निवेदन है कि पद्मावती को राजपूत समाज से न जोड़कर भारतीय नारी के अस्मिता से जोड़ा जाए।'

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