मुंबई: 'गोल्ड' कहानी नहीं हैं एक मेडल की, ये कहानी हैं आज़ादी के संघर्ष...और अपने वजूद के पहचान की... ये कहानी नहीं हैं एक खेल की... ये कहानी हैं विश्व में हिंदुस्तान के एक अस्तित्व की... ये दास्ताँ है गुलामी के ज़ुल्म को सहते हुए... आज़ादी के सुकून की... ये गोल्ड सिर्फ कहानी नहीं हैं एक मेडल की... ये कहानी हैं गुलाम हिंदुस्तान के ज़ज्बात... और आज़ादी की चाह रखने वाले हर उन क्रांतिकारियों की, जिन्होंने देश के लिए ज़िन्दगी कुर्बान कर दी...दोस्तों हां सच में ये कहानी नहीं हैं सिर्फ एक 'मेडल' की... ये सुकून हैं आज़ादी के बाद उन्ही अंग्रेजों को उनकी ही सरजमीं पर उन्हें पटखनी देने की।
ट्रेलर का रिव्यू और उसकी कहानी समझने के लिए हमें अक्षय कुमार के डायलॉग्स को गंभीर होकर सुनना होगा, क्योंकि इसमें अक्षय कुमार एक कोच की भूमिका में हैं... और उनका हर डायलॉग फिल्म के सीन को जबरदस्त तरीके से दिखा रहा है।
आज़ादी के पहले इंडिया ने समर ओलिंपिक में 3 गोल्ड जीते थे ...1928 , 1932 , और 1936 में जिनका सारा श्रेय ब्रिटेन को मिला क्योंकि उस वक़्त तक इंडिया को ब्रिटिश इंडिया के नाम से जाना जाता था. 1936 में गोल्ड जितने पर अक्षय कुमार का पहला डायलॉग था...।'हमारे सिर पर ब्रिटिश फ्लैग फड़-फड़ा कर मानो यह कह रहा था, ‘यू आर नॉट फ्री’' फिर देश की आज़ादी का सपना अंग्रेज़ों को उन्ही के सरजमीं पर हराने की ख्वाहिश 'पर अब इंडिया आज़ाद होने वाला हैं, उसके बाद हम इंडिया को ओलंपिक में लेकर जाएगा तो हमारा टीम अंग्रेज को लंदन में हराकर 200 साल की गुलामी का बदला लेगा' फिर उसी वक़्त अक्षय कुमार की पत्नी का किरदार निभा रही मौनी रॉय की एंट्री और गुस्से और चिढ़कर ये कहना की 'सपने देखने वाला गटर में पड़ा हैं' कहानी का एक नया मोड़ हैं...
फिर भी अक्षय हिम्मत नहीं हारते हैं और खिलाडियों को एक करने की कोशिश में लग जाते हैं...फिर उनका कहना 'उनके देश में, उनकी पब्लिक के सामने, उनके किंग के आगे, उन्हीं को हरायेंगे' खिलाडियों को आत्मविश्वास से भरने की कोशिश.... फिर दंगो की आवाज़ और सपनो का टूटना और कहना की 'इंडिया फ्री तो हो गया लेकिन टीम नहीं बचा' ये बात इशारा करती हैं हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बंटवारे का दर्द... ख़त्म होती उम्मीद की कहानी... बंटवारों में अलग हुए अपनों का दर्द जिसमें अक्षय कुमार की टीम भी हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बंटवारे की शिकार हो जाती हैं।
लेकिन 'लेजेंड्स अंडर फ्री इंडिया' इतनी जल्दी नाउम्मीद कैसे हो सकते थे, फिर टीम को बनाना, खेलना और आखिर में 'वन्दे मातरम' की गूँज एहसास दिलाती हैं जीत का... अपनी आज़ाद सरजमीं पर फक़्र से सर उठा के चलने का...जो आपको इस 15 अगस्त को इस बात का एहसास कराने में कामयाब होती जरूर नज़र आएगी कि ये आज़ादी हमें इतनी आसानी से नहीं मिली... इसके लिए हमने बड़ी कीमत चुकाई हैं... इसका सम्मान ही... सिर्फ शहीदों और उन वीरों के लिए श्रद्धांजलि हैं...।
इस फिल्म से टीवी ऐक्ट्रेस मौनी रॉय भी बॉलिवुड में डेब्यू कर रही हैं। ट्रेलर में अक्षय कुमार की पत्नी के रूप में उनका किरदार काफी दमदार दिख रहा। फिल्म में अमित साध, कुणाल कपूर और विनीत कुमार सिंह भी अहम भूमिका में हैं। हॉकी प्लेयर के किरदार में कुणाल कपूर भी जबरदस्त नजर आ रहे हैं।
यह फिल्म 15 अगस्त को रिलीज होगी।