नई दिल्ली: बॉलीवुड के दिवंगत अभिनेता सुनील दत्त ने अपने बेहतरीन किरदारों से दर्शकों के दिलों पर एक गहरी छाप छोड़ी है। आज भी वह अपनी फिल्मों के दम पर अपने चाहने वालों के दिलों में जिंदा हैं। 6 जून 1928 को झेलम जिले के खुर्दी गांव में जन्में सुनील दत्त इंडस्ट्री में एंटी हीरो के नाम से लोकप्रिय हैं। भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद वह अपने परिवार के साथ हरियाणा पहुंचे थे। फिर उन्होंने लखनऊ की ओर रुख किया और इसके बाद उनका परिवार मुंबई में पहुंचा। सुनील का असली नाम बलराज दत्त था। कॉलेज के दिनों में पढ़ाई करने के लिए वह लाइब्रेरी में जाकर बैठते थे।
इसके साथ ही वह बस डिपो में भी काम किया करते थे। उनका समय दोपहर 2 बजे से रात को 11 बजे तक का काम होता था। यहां उन्हें चेकिंग क्लर्क का काम दिया गया था। इसके लिए उन्हें 100 रूपए महीना सैलरी मिलती थी। लेकिन सुनील दत्त की तकदीर में तो कुछ और ही लिखा था। हमेशा कॉलेज ड्रामा में हिस्सा लेने वाले सुनील का रेडियो अनाउंसर बनने का सफर भी काफी दिलचस्प था। उन्हें अपनी दमदार आवाज और स्पष्ट उचारण के कारण रेडियो पर बड़े-बड़े कलाकारों को इंटरव्यू लेने का मौका मिला। लेकिन यह तो उनके सफर की अभी शुरूआत ही थी।
इसके बाद अब मौका था बलराज दत्त का सुनील दत्त बनना। सुनील दत्त ने 'आप की अदालत' को दिए गए एक इंटरव्यू में बताया था कि, फिल्म 'शहीद' के दौरान वह दिलीप कुमार का इंटरव्यू करने के लिए पहुंचे थे। इसके बाद फिल्म के डायरेक्टर रमेश सहगल ने उन्हें हीरो बनने के लिए कहा। बस फिर क्या था, सुनील दत्त ने भी तुरंत कह दिया कि अगर आप मुझे हीरो बनाएंगे तो जरूर बन जाऊंगा, लेकिन मैं छोटे-मोटे रोल नहीं करना चाहता। इसी घड़ी से इंडस्ट्री को सुनील दत्त मिल गए।