मुंबई: अभिनेता सुशांत सिंह का कहना है कि पिछले सप्ताहांत दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में नागरिकता (अधिनियम) संशोधन के खिलाफ शुरू हुए राष्ट्रव्यापी छात्र आंदोलनों ने लोकतंत्र के प्रति उनके भरोसे को फिर से जगाया है। अभिनेता ने आगे कहा कि अगर युवाओं ने इसके खिलाफ आवाज उठाया है, तब इन मुद्दों पर फिर से पुनर्विचार किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, "साल 2014 में आई सरकार के सिस्टम पर मैंने पहले ही अपना भरोसा को खो दिया था, क्योंकि किसी भी सरकार ने युवाओं को शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं दीं। मुझे लगता है कि एक समाज के रूप में हम मर चुके हैं, क्योंकि हम अपनी आवाज नहीं उठाते हैं, बल्कि हम तो इस प्रणाली में पीड़ितों के रूप में जिंदगी को जीने की कोशिश करते हैं, लेकिन अब जब किसी बेहतरी के लिए कई सारे विद्यार्थी सड़कों पर उतरकर इस प्रणाली के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं तो निश्चित तौर पर यह किसी सकारात्मकता की ओर एक इशारा है। इसने लोकतंत्र के प्रति विश्वास को पुनर्जीवित किया है और यह दिखा दिया है कि एक समाज के रूप में हम मृत नहीं हैं।"
सुशांत हाल ही में मुंबई में नागरिकता कानून का विरोध करते नजर आए थे, जिसके चलते उन्हें अपराध की सच्ची घटनाओं पर आधारित कार्यक्रम 'सावधान इंडिया' से बाहर कर दिया गया। वह इस शो में एक मेजबान के तौर पर कार्यरत थे। सुशांत ने उन सभी बॉलीवुड सितारों की आलोचना की है जिन्होंने इस मुद्दे पर अपनी कोई राय नहीं रखी है।
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क्या उन्हें लगता है कि सितारे किसी विषय पर ईमानदारी से अपनी राय व्यक्त करने से डरते हैं? इसके जवाब में सुशांत ने कहा, "अगर उन्हें लगता है कि उन्हें बहुत ज्यादा खतरा है, अगर वे सोचते हैं कि ध्रुवीकरण उस स्तर तक पहुंच गया है, जहां अगर वे अपनी भावनाएं व्यक्त करेंगे तो इससे आने वाले समय में उनके फिल्मों की रिलीज प्रभावित होगी, तो मैं उन्हें बस यही कहना चाहता हूं कि हमारे देश के भविष्य की जिंदगी-हमारे युवा-खतरे में हैं। हम एक ऐसा माहौल बना रहे हैं जहां सरकार के विरोध और उनकी आलोचना के लिए कोई जगह ही नहीं है। अगर आप ऐसा करते हैं, तो सत्ता की शक्ति आपके आवाज को चुप करा देगी। क्या हम अपने भविष्य के लिए यही चाहते हैं?"