नई दिल्ली: फिल्मों को समाज का आईना कहा जाता है, कुछ ऐसी फिल्में आती हैं जिन्हें देखकर हमें एहसास होता है, इस देश और दुनिया में कैसे-कैसे लोग हैं और कैसी-कैसी जिंदगियां जीने को लोग मजबूर हैं। हम बात कर रहे हैं फिल्म ‘लाइफ ऑफ एन आउटकास्ट’ की। इस फिल्म में एक डायलॉग है- ‘स्कूल को गणित के टीचर की जरूरत नहीं। जाति का सवाल गणित के सवालों से ज्यादा कठिन है...।’ यही सच्चाई है इस देश की जिसे 90 मिनट की फिल्म में लेखक और निर्देशक पवन के. श्रीवास्तव ने पर्दे पर उतारा है।
पवन के बारे में आपको बता दें, इन्होंने साल 2014 में ‘नया पता’ नाम की फिल्म बनाई थी, जिसे देश के 16 मल्टीप्लेक्स में पीवीआर ने एक साथ रिलीज की थी। इस फिल्म की पहली स्क्रीनिंग वाराणसी में हुई थी, और इस फिल्म को हॉवर्ड विश्वविद्यालय ने अपनी लाइब्रेरी में सुरक्षित रखा है।
अब उन्होंने देश के दलित पर हो रहे शोषण पर एक कहानी बनाई है, जिसमें दिखाया गया है कि किस तरह देश के युवा दलित होने का दर्द भुगत रहे हैं। इस फिल्म मुख्य भूमिका निभाई है रवि भूषण ने। रवि ने फिल्म ‘पान सिंह तोमर’ और ‘फिल्मिस्तान’ जैसी फिल्मों में अहम किरदार निभाए थे।
इस फिल्म के साथ खास बात यह भी है कि यह फिल्म क्राउड फंडिग से बनी है। इसके लिए फेसबुक और ट्विटर पर कैंपेन चलाया गया था जिसके तहत 4 दिन में 4 लाख रुपये जुटाए गए, और इस फिल्म के पोस्ट प्रोडक्शन का काम पूरा किया गया।
छपरा के रहने वाले 35 साल के पवन ने इलाहाबद से इंटरमीडियट किया था और बाद में दिल्ली से कम्प्यूटर साइंस की पढ़ाई की थी। इसके बाद वह मुंबई गए और वहां नौकरी करने लगे। लेकिन उनका मन तो फिल्में बनाने का था, तो उन्होंने नौकरी छोड़ दी और अपने सपनों को पूरा करने में जुट गए।
‘लाइफ ऑफ एन आउटकास्ट’ में चार प्रोड्यूसर्स हैं जिसमें से एक इलाहाबाद के मुहम्मद आसिफ हैं। बाकी 152 प्रोड्यूसर्स में काशी के जितेंद्र गिरि, सुमित सिंह, हिमांशु सिंह और सत्यम वर्मा जैसे नाम भी शामिल हैं।