प्रशांत तिवारी
किसी ने सच ही कहा हैं कि, 'एक सिपाही की मौत तब नहीं होती जब उसे गोली लगती हैं उसकी मौत तब होती हैं... जब उसे और उसकी कुर्बानियों को भुला दिया जाता हैं'... ऐसी ही कई अनकही कहानियां हैं शहादत की, जिसे हम जानते ही नहीं। शायद हमने खुद ना जाने कितने देशभक्त सिपाहियों की कुर्बानी को दो कुंतल लकड़ी या दो गज ज़मीन देकर दफ़न कर दिया हैं... खैर हिंदुस्तान में लोगो से अगर जंग के बारे में पूछा जाए कि कितनी लड़ाईयां हुई हैं? तो लोगों का जवाब होगा, 1948 में पाकिस्तान के खिलाफ, 1962 में चीन, पाकिस्तान से जंग 1965 और 1971 और आखिरी 1999 में कारगिल... लेकिन बहुत सी लड़ाईयां ऐसी भी लड़ी गई हैं जिनके बारे में हमें जानकारी ही नहीं... वो इतिहास और सियासी पन्नों के बीच जैसे कहीं गुम सी हो गई हैं।
बस इसी गुमनामी की किताब से एक जंग और शहादत के जीत की कहानी लेकर आए हैं मशहूर फिल्मकार जेपी दत्ता, अरे ये वही हैं जिन्होंने... 1971 की जंग पर फिल्म बॉर्डर बनाई ... कारगिल के जंग की कहानी 'LoC कारगिल' में बयान की।
अगर ये कहा जाए कि देश के बच्चे-बच्चे को ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह, मनोज पांडेय, विक्रम बत्रा और कारगिल के जंग की जानकारी जेपी दत्ता कि वजह से हुई हैं तो ये कोई अतिशयोक्ति नहीं हैं।
खैर बात उस गुमनाम जंग कि हो रही थी जिसको बारे में शायद ज़्यादा लोगों को नहीं पता वो जंग थी भारत- चीन के बीच साल 1967 (11 - 14 ) सितम्बर को नाथूला में और 1 अक्टूबर को Cho La में लड़ी गई... उसमे हमारे बहुत से जवान शहीद हुए ,अगर आकड़ों कि बात करे तो...भारत ने दावा किया कि उसके 88 जवान शहीद हुए 163 घायल हुए... पर चीन ने दावा किया कि भारत के Nathu La, और Cho La को मिलाकर 802 casualties हुई हैं (जिनमे घायल और शहीद शामिल हैं।)
वही दूसरी ओर भारत ने दावा किया कि इस जंग में चीन के 340 सैनिक मारे गए और 450 घायल हुए... हालांकि चीन का कहना था कि उसके सिर्फ 34 सैनिक मारे गए और 91 ही घायल हुए।
आखिर में जीत हमारी हुई... नाथुला में सीज फायर हुआ और चीनी सैनिकों को Cho La छोड़ कर वापस जाना पड़ा... इसी जीत के संघर्ष और शहादत की कहानी फिल्म 'पलटन' में लेकर आ रहे हैं जेपी दत्ता, फिल्म के ट्रेलर को देख कर लगता हैं कि इसमें भारत माँ के उन सपूतों की कुर्बानी, मोहब्बत और संघर्ष को दर्शाया गया है, जिन्होंने मौत चुनी पर अपनी मां का साथ नहीं छोड़ा। सिर्फ इतना ही नहीं उन्होंने 1967 में चीन को यह भी एहसास करा दिया कि हम कमज़ोर नहीं है बस 1962 में हमारी कुछ मजबूरियां थीं।
दिग्गज फिल्मकार जेपी दत्ता के निर्देशन में बनी इस फिल्म में जैकी श्रॉफ, अर्जुन रामपाल, सोनू सूद, हर्षवर्धन राणे, ईशा गुप्ता और सोनल चौहान जैसे सितारे मुख्य किरदारों में दिखाई देंगे। 7 सिम्बर को रिलीज हो रही इस फिल्म को अनु मलिक ने अपने संगीत से सजाया है।