कोरोना महामारी के चलते इस साल देशभर में लंबे समय के लिए लॉकडाउन लगाया गया। इस दौरान बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद ने फिल्मों से हटकर अपनी एक अलग छवि लोगों के बीच बनाई। सोनू ने लॉकडाउन के समय देश के अलग-अलग हिस्से में फंसे प्रवासियों को उनके घर पहुंचाने में मदद की। इसी वजह से लोगों ने सोनू को एक मसीहा के रूप में देखना शुरू कर दिया।
कई जगहों पर सोनू की मूर्तियां लगाकर उन्हें पूजा भी गया। ये सब देख सोनू काफी भावुक भी हुए, लेकिन उन्होंने हर बार यही कहा कि उन्होंने सिर्फ अपना फर्ज निभाया। उन्होंने हमेशा कहा कि वह कोई भगवान नहीं है और अब इसी पर उनकी एक किताब भी आई है, जिसका नाम है 'आई एम नो मसीहा'। सोनू ने इस किताब की जानकारी अपने ट्विटर अकाउंट पर एक वीडियो शेयर कर दी है।
सोनू का यह वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में सोनू मुंबई एयरपोर्ट पर स्थित एक बुक स्टोर में नजर आ रहे हैं। खास बात ये कि अगर आप यह किताब मुंबई एयरपोर्ट से लेंगे तो यहां आपको सोनू की साइन की हुई किताब मिलेगी। किताब को ऑनलाइन भी ऑर्डर किया जा सकता है। इस बात की जानकारी खुद सोनू ने ट्वीट करके दी है।
बता दें कि सोनू की ये किताब हिन्दी और इंग्लिश दोनों भाषा में उपलब्ध है। इस किताब में अभिनेता ने लॉकडाउन के दौरान के कठिन वक्त के बारे में बताया है। उन्होंने अपनी जर्नी को शेयर किया है और लोगों से अपनी दुआएं बनाए रखने की अपील भी की है। सोनू ने बताया है कि उन्हें लोगों की मदद करने से एक खास सुकून मिलता है।
सोनू के इस ट्वीट पर फैंस का जमकर रिएक्शन आ रहा है। वो उनकी तारीफ करते नहीं थक रहे हैं। यही नहीं, कई यूजर्स ने उनसे मदद मांगना भी शुरू कर दिया है। सोनू सोशल मीडिया पर मदद करने वालों लोगों की गुहार सुनते हैं। उन्होंने कई लोगों की मदद सिर्फ उनके ट्वीट के बाद की है। ऐसे में लोग अपनी परेशानियां लेकर उनके पास पहुंचते हैं।
कभी न सोचा था कि एक दिन मेरे ऊपर किताब लिखी जाएगी : सोनू सूद
बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद ने कभी नहीं सोचा था कि किसी दिन उनके बारे में कोई किताब भी लिखी जाएगी। अभिनेता ने कहा कि वह अपनी मां को याद कर रहे हैं। सोनू ने कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिकों की मदद करने के अपने अनुभव को याद करते हुए किताब लिखी है। इसपर उनका एक बयान सामने आया है।
सोनू ने पुस्तक लिखने पर आईएएनएस को बताया, "यह बहुत खास हो गया है, क्योंकि मुझे कभी भी यह महसूस नहीं हुआ कि एक दिन, मैं कुछ करूंगा, जिस पर एक किताब मुझ पर लिखी जाएगी, जहां मैं अपने अनुभवों को साझा कर सकता हूं, उन सभी क्षणों को साझा कर सकता हूं, जहां मैं दुनिया भर में लाखों लोगों से जुड़ा।"
उन्होंने कहा, "अब मैं सब कुछ कागज के पन्ने पर उतार रहा हूं। मेरी मां, जो एक प्रोफेसर थीं, उन्होंने हमेशा मुझे अपने अनुभवों के बारे में लिखने को कहा है। उनका कहना था कि जब भी आपको कुछ विशेष लगे लिखना चाहिए, क्योंकि वह हमेशा आपके साथ रहेंगी। बहुत सारी चीजें होने के साथ, आप उन अनुभवों को भूल जाते हैं, लेकिन आप हमेशा उन पन्नों के माध्यम से खुद को तरोताजा कर सकते हैं।"
(इनपुट/आईएनएस)