बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के निधन के बाद से नेपोटिज्म पर एक बार फिर बहस छिड़ गई है। इसकी वजह से कई सेलिब्रिटीज को ट्रोल भी किया जा रहा है। शेखर सुमन ने बॉलीवुड में नेपोटिज्म या भाई- भतीजावाद नहीं बल्कि माफिया होने की बाद कही है। उन्होंने कहा- नेपोटिज्म शब्द का बॉलीवुड के लिए इस्तेमाल करना गलत है। यहां माफिया हैं जो गैंग बनाकर किसी एक एक्टर का करियर बना सकते हैं और बिगाड़ भी सकते हैं।
शेखर सुमन ने इंडिया टीवी से बातचीत में कहा-नेपोटिज्म शब्द का जो इस्तेमाल बॉलीवुड में किया गया है वो गलत है। हमारी इंडस्ट्री खुली हई है। यहां जिसके पास पैसा है वो फिल्म बनाएगा। ये उसका हक है कि वह किसे फिल्म में लेगा, अपने भाई या बेटे, बहन या किसी सदस्य को लेगा। ये उसकी मर्जी है। उसे आप कैसे रोक सकते हैं। यह नेपोटिज्म कैसे हुआ। मेरे पास पैसा होगा तो मैं पड़ोसी के बच्चे के लिए तो फिल्म नहीं बनाउंगा। मैं अपने बेटे के लिए बनाउंगा ना।
शेखन सुमन ने आगे कहा- जो फिल्म इंडस्ट्री में होता है वो नेपोटिज्म नहीं है। यहां एक गैंग है, फेवेरेटिज्म है, एक तरीके से माफिया हैं जो चीजों को कंट्रोल करके रखते हैं। वो ही डिसाइड करते हैं इंडस्ट्री कैसे काम करेगी। उसमें कौन काम करेगा, कौन हीरो रहेगा कौन जाएगा। किसकी जिंदगी बनानी है, किसकी बिगाड़नी है। उन्होंने कहा- मैं यह कहना चाहता हूं आप फेवरेटिज्म करें। किसी की जिंदगी बनानी है तो बनाएं लेकिन अगर किसी का भला नहीं कर सकते तो उसका बुरा मत कीजिए।
उन्होंने आगे कहा- बॉलीवुड में जो लोग जी हजूरी नहीं करना चाहते, जो आपको जूतों को पॉलिश नहीं करेगा उसे यहां से निकाल दिया जाएगा और जो जी हजूरी, चाटूकारिता करने को तैयार है उसे काम मिलेगा। ये हमारी इंडस्ट्री में सदियों से होता आया है और अब बहुत ज्यादा है। पहले लोग सिफारिश किया करते थे जिसकी वजह से कई बाद एक्टर्स को कास्टिंग के बाद भी हटा दिया जाता था। इस समय में शोहरत और पैसा बहुत ज्यादा है। एक्टर्स, म्यूजिक प्रोड्यूसर्स, को एक कॉन्ट्रैक्ट में दबा लिया जाता है ताकि वह बाहर काम ना कर सकें। अगर वह इससे बाहर आकर काम करते हैं तो बाकि लोगों को कह दिया जाता है कि इस लड़के या लड़की को फिल्म में लेना नहीं है। इस वजह से कई जिंदगियां खराब हो गईं।
शेखर सुमन ने आगे कहा मुझे लगता है इसका असर सुशांत सिंह राजपूत की जिंदगी पर भी पड़ा। जब आप अपने बलबूते पर खड़े हो जाते हैं। अपनी फिल्मों का चयन खुद करने लगते हैं तो यह नेक्सस आपको बर्बाद करने में पूरी तरह जुड जाता है। सुशांत भी इस पोजिशन पर पहुंच गए थे कि वह अपनी मर्जी से फिल्में स्वीकार रहे थे और नाकार रहे थे। ये इन लोगों को पसंद नहीं आया। जिसके बाद उन्हें प्रताड़ित किया गया। ये सुनने में आ रहा है कि उनसे 7-8 फिल्में छीन ली गई। एक बहुत बड़ी फिल्म बनने वाली थी। जिसका वह 4 सालों से इंतजार कर रहे वथे। उसे बंद कर दिया गया।