वैसे तो शाहरुख को खेलों से भी गहरा लगाव था, लेकिन मांसपेशियों में खिंचाव के चलते उनको खेलों से दूर रहने की सलाह दे दी गई। निराशा के ऐसे ही दौर में एक दिन शाहरुख को पता चलता है कि दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज में 82 लड़कियों और 10 लड़कों के साथ बैरी जॉन एक प्ले करने वाले है और उनको कुछ अच्छे कलाकारों की तलाश है और शाहरुख इस प्ले से जुड़ने का फैसला करते हैं और बाद में बैरीजॉन से एक्टिंग के गुण सिखने के साथ ही शाहरुख को यह अवसर भी मिल जाता है। मां ने आत्मविश्वास और बड़ा सपना देखना सिखाया, ब्रदर डिसूजा ने जिंदगी के पाठ तो बैरीजॉन ने शाहरुख को एक्टिंग की एबीसीडी सिखाई जिसके बदौलत शाहरुख खान सपनों के शहर मुंबई में बॉलीवुड में अभिनेता बनने का सपना पूरा करने की उड़ान भरने का साहस कर सके।