मुंबई: फिल्म इंडस्ट्री की जानी मानी अदाकारा रीता भादुड़ी मंगलवार को सभी की आंखे नम कर हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह गईं। उनके निधन से हर कोई सदमे में है। अब दिग्गज अदाकारा शबाना आजमी ने दिवंगत अभिनेत्री रीता भादुड़ी को एक 'प्यारी और शरारती' लड़की के रूप में याद किया है, जो पुणे में भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) में उनकी दोस्त, बैचमेट और करीबी प्रतिद्वंद्वी थीं। रीता की मंगलवार तड़के निधन के बाद शबाना के पास दिवंगत अभिनेत्री को लेकर विचार शेयर करने को लेकर ढेर सारे फोन कॉल आने लगे। अभिनेत्री ने कहा कि रीता भादुड़ी के बारे में उनके विचार जानने के लिए उनके पास फोन आने लगे और उनके लिए अभी भी स्वीकार करना मुश्किल है कि उनकी दोस्त अब इस दुनिया में नहीं है।
शबाना ने कहा, "मेरे लिए अभी भी पूरी तरह से स्वीकार करना मुश्किल है कि एफटीआईआई की मेरी सहपाठी का आज सुबह निधन हो गया। मैं अपने घर जा रही हूं और फोन लगातार बज रहा है। मुझसे अजीब से सवाल किए जा रहे हैं..कृपया आपकी प्रतिक्रिया? कितनी अजीब बात है कि महज तीन दिन पहले एफटीआईआई के दिनों पर लिखे एक लेख में मैंने उनका जिक्र किया था।" वे एफटीआईआई सहपाठियों की व्हाट्सएप ग्रुप के संपर्क में थीं।
शबाना ने कहा, "मुझे कल एक संदेश मिला कि उनकी हालत नाजुक है। वह एक महीने पहले शूटिंग के दौरान गिर गई थी और उनकी रीढ़ की हड्डी चोटिल हो गई। दुर्भाग्यवश, उन्हें संक्रमण हो गया और एक और सर्जरी कराना पड़ा। वह बहुत दर्द में थीं क्योंकि वह डायलिसिस पर थीं और ज्यादा प्रभावी दर्दनिवारक दवाएं नहीं ले सकती थीं और आज वह चल बसीं।" फिल्म संस्थान के दिनों से ही दोनों में गहरी दोस्ती हो गई थी। अभिनेत्री ने बताया कि हालांकि, एफटीआईआई के छात्रावास में दोनों एक कमरे में नहीं रहती थी, तो भी दोनों के बीच अच्छी दोस्ती थी और एक-दूसरे के साथ हंसी-मजाक करती और वह रीता के बेड पर पहुंच जाती और बाद में वहीं उनकी आंख खुलती।
शबाना ने कहा, "जहां तक मुझे याद है कि मैं सुबह अपने माता-पिता के बिस्तर पर होती, जब एफटीआईआई के लिए मैंने घर छोड़ा, तब फिर रीता के बिस्तर पर पहुंच जाती। उसमें कुछ प्यारा सा और शरारतीपन था।" अभिनेत्री ने कहा, "उनके जोश-खरोश को देखते हुए हम उन्हें तनुजा (दिग्गज अभिनेत्री) कहकर बुलाते थे। वह एक अच्छी छात्रा, कक्षा में मेरी करीबी प्रतिद्वंद्वी थीं, लेकिन इससे हमारी दोस्ती पर कोई असर नहीं पड़ा और फिर जिंदगी के सफर में हम अपने-अपने रास्ते पर निकल गए।"