'एक दो तीन', 'हमको आज कल है इंतजार', 'धक-धक करने लगा', 'कांटे नहीं कटते दिन और रात', 'मार डाला' जैसे सुपरहिट गानों के पीछे जिस शख्स का हाथ हैं वो कोई और नहीं सरोज खान ही हैं। ये गाने भले ही कई साल पहले रिलीज हो चुके हों लेकिन जब भी ये गाना कहीं बजता है तो लोग गाने के वही स्टेप कॉपी करने की कोशिश करते हैं। इस बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि सरोज खान सिनेमाजगत की कितनी बड़ी शख्सियत हैं।
सरोज खान ने दुनिया को अलविदा कह दिया है। उनके निधन से बॉलीवुड जगत में शोक की लहर है। आइये जानते हैं सरोज खान की जिंदगी के बारे में..
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सरोज खान का असली नाम निर्मला नागपाल है। सरोज के पिता का नाम किशनचंद सद्धू सिंह और मां का नाम नोनी सद्धू सिंह है। सरोज के पिता पंजाबी और मां सिंधी थी। विभाजन के बाद सरोज खान का परिवार पाकिस्तान से भारत आ गया था। सरोज खान का जन्म इंडिया में ही हुआ था। सरोज ने फिल्मी करियर की शुरुआत महज 3 साल की उम्र में बतौर बाल कलाकर की थी। उनकी पहली फिल्म 'नजराना' थी जिसमें उन्होंने श्यामा नाम की बच्ची का किरदार निभाया था। इसके बाद 50 के दशक में सरोज खान बैकग्राउंड डांसर के तौर पर काम करने लगीं।
सरोज खान के नाम बदलने के बारे में उनके पिता ने ही सोचा था क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि उनक परिवार को पता चले की उनकी बेटी बतौर डांसर काम करती है। सरोज ने डांस की ट्रेनिंग बी सोहनलाल से ली थी। अपने इसी ट्रेनर बी सोहनलाल के साथ सरोज खान ने महज 13 साल की उम्र में शादी कर ली थी। सोहन लाल पहले से शादीशुदा था। दोनों की उम्र में बहुत ज्यादा फासला था। सरोज खान ने अपनी शादी के बारे में बात करते हुए एक इंटरव्यू में कहा था- 'मैं उन दिनों स्कूल में पढ़ती थी। तभी एक दिन मेरे डांस मास्टर सोहनलाल ने गले में काला धागा बांध दिया था और मेरी शादी हो गई थी।' मुझे उनकी पहली शादी और चार बच्चों के बारे में पता नहीं था। मुझे उनकी शादी के बारे में तब पता चला जब मैंने अपने बेटे राजू को जन्म दिया।
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अपनी शादी का जिक्र करते हुए सरोज खान ने एक और इंटरव्यू में कहा था- 'मैंने अपनी मर्जी से इस्लाम धर्म ग्रहण किया था। उस वक्त मुझसे कई लोगों ने पूछा कि मुझ पर कोई दबाव तो नहीं है लेकिन ऐसा नहीं था। मुझे इस्लाम धर्म से प्रेरणा मिलती है।'
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