नई दिल्ली: बॉलीवुड के मुन्नाभाई कहे जाने वाले संजय दत्त भले ही अब जेल से बाहर आ चुके हैं। लेकिन उनका कहना है कि रिहा होने के बाद भी उन्हें आजादी महसूस नहीं हो रही है। उनके भीतर अब तक पूरी तरह से आजाद होने का अहसास नहीं आ पाया है। संजय दत्त 1993 में मुंबई में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में हथियार रखने के आरोप में दोषी पाए गए थे, जिसके चलते उनको पांच साल की सजा हुई थी। पुणे की यरवड़ा जेल में सजा काट रहे संजय दत्त को 25 फरवरी को रिहा कर दिया गया।
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गौरतलब है कि पुणे की यरवड़ा जेल में संजय दत्त कैदी नंबर 16656 के रुप में आम कैदी के रुप में रहे। उन्होंने कहा, "मैं एकांतवास में था। मुझे आजाद महसूस होने में थोड़ा लंबा समय लगेगा। आजादी की भावना अभी आनी बाकी है। मैं 23 वर्षों तक जेल के अंदर और बाहर रहा हूं। कई सारी बाधाएं थी, अनुमति लेनी पड़ती थी। मैं एक आजाद इंसान जैसे जीने की आदत डाल रहा हूं। संजय दत्त ने एक कार्यक्रम में कहा कि जेल में रहने के दौरान उनकी विशेष देखभाल नहीं हुई और उनको वही खाना और कपड़े मिलते थे जो दूसरे कैदियों को मिलते थे।"
उन्होंने कहा कि उनके पिता सुनील दत्त को उनमें भरोसा था और निधन से पहले सुनील दत्त ने कहा था कि उन्हें अपने बेटे पर गर्व है। कुछ वक्त पहले ही जेल से बाहर आए संजय दत्त के पास इन दिनों कई फिल्मों के अवसर आ रहे हैं।
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