2. असली पहलवान की पहचान अखाड़े में नहीं, जिंदगी में होवे है... ताकि जब जिंदगी तुम्हें पटके तो तुम फिर खड़े हो...और ऐसा दाव मारो कि जिंदगी चित्त हो जाये।
2. असली पहलवान की पहचान अखाड़े में नहीं, जिंदगी में होवे है... ताकि जब जिंदगी तुम्हें पटके तो तुम फिर खड़े हो...और ऐसा दाव मारो कि जिंदगी चित्त हो जाये।