नई दिल्ली: मशहूर शायर और गीतकार साहिर लुधियानवी के तमाम बेशकीमती हाथ से लिखे खत, नज़्में और उनकी डायरियों के अलावा बहुत सारी ब्लैक-एंड वाइट तस्वीरें मुंबई में एक कबाड़ की दुकान पर मिले। अच्छी खबर ये है कि एक NGO ने इन चीजों को महज 3 हजार रुपये में खरीदकर संरक्षित कर लिया। मुंबई के NGO फिल्म हेरीटेज फाउंडेशन को जुहू के एक कबाड़ की दुकान में अखबारों और मैग्जीन्स के ढेर में से ये चीजें मिली हैं। अब वो इन अभिलेखों का प्रदर्शन करने की योजना बना रहे हैं।
संस्था के संस्थापक निदेशक शिवेंद्र सिंह डुंगरपुर ने कहा, ‘इन डायरियों में उनके रोजाना के कार्यक्रम लिखे हैं जैसे गाने की रिकॉर्डिंग के लिए वे कब और कहां जायेंगे और कुछ निजी बातें भी लिखी हैं। इनमें कई सारी नज्में हैं और नोट भी हैं। नोटों का संबंध उनके प्रकाशन संगठन ‘पार्चियां' से है।'
उन्होंने आगे बताया, ‘उस दौर के संगीतकार रवि, उनके दोस्त और कवि हरबंस ने जो पत्र उन्हें लिखे थे वो भी इसमें शामिल हैं। कुछ पत्र इंग्लिश में हैं और कुछ उर्दू में हैं। कृतियां सारी ऊर्दू में हैं।' उन्होंने कहा कि साहिर की कुछ निजी तस्वीरें भी इसमें मिली हैं। इसमें से उनकी बहनों और दोस्तों के साथ की तस्वीरों के साथ उनके पंजाब में स्थित घर की तस्वीरें भी हैं।'
फाउंडेशन के विशेषज्ञ अब इन नज्मों को पढ़ रहे हैं और यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि इनमें से कौन सी कृतियां प्रकाशित हुई हैं और कौन सी नहीं। डुंगरपुर को ये गुरू दत्त की फिल्म ‘प्यासा' के दृश्य की याद दिला रही है जिसमें उनकी नज्में और कृतियां कबाड़ की दुकान पर मिली थी।
साहिर लुधियानवी एक प्रसिद्ध शायर तथा गीतकार थे। इनका जन्म लुधियाना में हुआ था और लाहौर तथा बंबई इनकी कर्मभूमि रही। साहिर ने कभी कभी, बाजी, चित्रलेखा बहू बेगम, टैक्सी ड्राइवर और मुझे जीने दो जैसी तमाम फिल्मों में गाने लिखे थे।
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