नई दिल्ली: अभिनेता रितेश देशमुख ने बॉलीवुड में सफलता के साथ-साथ असफलता का स्वाद भी चखा है। उनका कहना है कि वह एक सुरक्षित इंसान हैं जो उनके काम और इस पेशे में उनके सफर में साफ झलकता है। रितेश ने साल 2003 में फिल्म 'तुझे मेरी कसम' के साथ बॉलीवुड में अपने सफर की शुरुआत की थी।
अपने करियर के इस सफर को पीछे मुड़कर देखते हुए रितेश ने आईएएनएस को बताया, "मेरी पहली फिल्म के बाद मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे कोई और फिल्म मिलेगी, लेकिन मुझे ऑफर्स मिलने लगे, कुछ फिल्मों ने अच्छा प्रदर्शन किया तो वहीं कुछ खास कमाल नहीं कर पाईं। हिट और प्लॉप फिल्में देने का हर एक कलाकार का अपना एक सफर होता है।"
महाराष्ट्र के पूर्व दिवंगत मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के बेटे अभिनेता रितेश देशमुख ने अपने अब तक के फिल्मी करियर में 'मस्ती', 'मालामाल वीकली', 'अपना सपना मनी मनी', 'धमाल' और 'हाउसफुल' फ्रेंचाइजी की फिल्में और 'एक विलेन' जैसी कई भिन्न शैली की फिल्मों में काम किया है। इन फिल्मों में अपने अभिनय से वह दर्शकों के दिलों में अपनी छाप छोड़ने में सफल रहे।
हालांकि 'नाच', 'कैश', 'हे बेबी', 'डू नॉट डिस्टर्ब', 'अलादीन', 'रन', 'जाने कहां से आई है', 'बंगिस्तान', 'मस्तीजादे' और 'बैंजो' जैसी उनकी फिल्में असफल भी रहीं। रितेश का मानना है कि एक कलाकार के लिए प्रासंगिक बने रहना बहुत जरूरी है।
उन्होंने कहा, "एक ही शैली में काम करते रहने के बावजूद प्रासंगिक बने रहना बहुत जरूरी है। मैं जो कुछ भी कर सकता हूं, उनमें हमेशा कुछ नया करने का प्रयास किया है, चाहे वह कॉमेडी हो या 'मरजावां' और 'एक विलेन' में मेरे विलेन अवतार की बात हो, जो एक-दूसरे से भिन्न है। मैंने 'रन' जैसी ड्रामा फिल्में भी की हैं और हॉरर में भी हाथ आजमाया है।"
रितेश ने आगे कहा, "जब कभी आप किसी नई शैली में काम करते हैं, तो लोगों द्वारा उसे समझने और याद रखने योग्य बनाने के चलते उनमें सफल होना बहुत जरूरी है। लोगों में असफल फिल्मों को भूल जाने की प्रवृत्ति होती है, तो प्रासंगिक बने रहना जरूरी है, क्योंकि दर्शकों की पसंद तेजी से बदलती रहती है। एक कलाकार के तौर पर मैं धन्य हूं कि मेरे पास नए किरदार आ रहे हैं और इन्हें निभाकर मैं खुश हूं।"
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क्या सफलता और असफलता का अनुभव आपको एक सुरक्षित अभिनेता बनाता है? इसके जवाब में उन्होंने कहा, "मैं एक सुरक्षित इंसान हूं। एक इंसान के तौर पर अगर आप सुरक्षित होते हैं तो यह आपके काम में झलकता है, चाहें आप एक कलाकार हो या किसी और पेशे से संबंधित हो और अगर आप एक असुरक्षित इंसान हैं, तो आप चाहें कलाकार हो या इंजीनियर या कोई डॉक्टर, आप असुरक्षित ही रहेंगे।