अनुभवी अभिनेता ऋषि कपूर ने कहा कि वह ऐसे मुकाम पर पहुंच गए हैं जहां यह मायने नहीं रखता कि किसी फिल्म में उनका किरदार कितना लंबा है, बल्कि किरदार की अहमियत मायने रखती है और वह केवल प्रमुख किरदारों के पिता की भूमिका ही नहीं निभाना चाहते।
हाल में आईं फिल्मों 'मुल्क' और 'कपूर एंड संस' के लिए सराहे गए अभिनेता ने कहा कि वह ऐसी भूमिकाओं की तलाश में हैं जिनका फिल्म की कहानी पर असर हो।
ऋशि कपूर ने कहा, ''मैं सच में अपने काम से प्यार करता हूं और मैं इसे लेकर जुनूनी हूं। किरदार की लंबाई महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि मैं किसी फिल्म में हीरो या हीरोइन के पिता जैसी कोई महत्वहीन भूमिका नहीं निभाना चाहता। मैंने पहले ऐसा किया था लेकिन हर चीज से सीख मिलती है।' अब मैं ऐसी भूमिकाएं करना चाहता हूं जो कहानी में योगदान दें।''
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ऋषि कपूर ने 1970 में आई फिल्म 'मेरा नाम जोकर' से फिल्मी दुनिया में कदम रखने के साथ अगले साल इस उद्योग में 50 साल पूरे करेंगे। बहरहाल, 67 वर्षीय अभिनेता 'मशीन की तरह चौबीसों घंटे' काम करने में यकीन नहीं रखते।
ऋषि ने कहा कि हर कलाकार के लिए काम से अवकाश लेना बहुत जरूरी है। कपूर ने उस दौर को याद किया जब मिथुन चक्रवर्ती और गोविंदा जैसे अभिनेता चार-छह पालियों में काम करते थे। वह अब जीतू जोसेफ की ‘द बॉडी’ फिल्म में दिखाई देंगे। इसी नाम से स्पेनिश फिल्म का यह हिंदी रीमेक है। ‘द बॉडी’ 13 दिसंबर को सिनेमाघरों पर रिलीज हो रही है।
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