इस बदलाव के बारे में पूछने पर वह आगे कहती हैं, "हमारी फिल्म इंडस्ट्री की अपनी दिक्कतें हैं। यहां स्क्रीन कम हैं। एग्जिबिटर टैक्स 50 फीसदी है, जो सरासर गलत है। पुराने पड़ चुके नियमों में बदलाव की दरकार है। पटकथा लिखने के लिए अच्छे लेखकों की जरूरत है, क्योंकि लेखक सबसे पहले फिल्म को अपनी कल्पना में सोचता है और फिर निर्देशक अपनी प्रतिभा से उसे पर्दे पर जीवंत करता है।" ऋचा विवादों और कंपटीशन के सवाल पर सधा-सा जवाब देती हैं, "विवाद बनाए जाते हैं। प्रेस को मसाला चाहिए, जिसके लिए बिना वजह विवाद खड़े किए जाते हैं। कुछ लोग अपना उल्लू सीधा करने के लिए विवाद खड़ा कर देते हैं, जो बेतुका है। रही बात कंपटीशन की तो मुझे यह समझ नहीं आता, क्योंकि हर किसी का चेहरा, शरीर, दिमाग, कला सब एक-दूसरे से अलग होता है तो कंपटीशन कैसा।"