कुछ सालों पहले आई फिल्म 'दबंग' में हीरोइन ने एक शानदार डायलॉग बोला था 'थप्पड़ से डर नहीं लगता साहेब'। तब किसी ने सोचा भी नहीं था कि उसी थप्पड़ को अनुभव सिन्हा एक नए सिरे से परिभाषित करेंगे कि लोग घरेलू हिंसा जैसे मामूली समझे जाने वाले विषय को भी गंभीरता से लेने पर मजबूर होंगे। जी हां तापसी पन्नू अभिनीत थप्पड़ घरेलू हिंसा के साथ साथ उसके आयामों और समाज में फैली सोच को सही तरीके से दिखाती है। 28 फरवरी को सिनेमाघरों में रिलीज हो रही इस फिल्म को क्रिटिक्स ने शानदार करार दिया है। झझकोरने वाली फिल्म, आपकी सोच को बदलने का माद्दा रखने वाली फिल्म को देखना चाहिए। इसकी कई वजहें हैं...इनके बारे में बात करते हैं।
शानदार एक्टिंग के लिए
तापसी पन्नू एक शानदार अभिनेत्अरी है। वो अपनी कई फिल्मों के जरिए सामाजिक मुद्दे उठाने की कोशिश करती आई हैं। इस बार वह घरेलू हिंसा जैसे बड़े मुद्दे पर बनी फिल्म का हिस्सा हैं। तापसी ने वाकई शानदार कोशिश की है। ग्लैमर औऱ चकाचौंध से दूर घरेलू औरत के किरदार को निभाना और चेहरे पर सटीक एक्सप्रेशन लाना वाकई कमाल का है। तापसी अमृता बनी हैं तो अमृता के रोल में उतर गई हैं। एक अपर मिडिल क्लास औरत के किरदार को उन्होंने शिद्दत से जिया है...थप्पड़ से पहले के सीन और बाद के सीन में आप तापसी के भीतर कमाल का बदलाव देखेंगे। तापसी पन्नू इससे पहले पिंक, नाम शबाना, मुल्क जैसी कई फिल्मों में शानदार एक्टिंग कर चुकी हैं। तापसी हमेशा से कहती आई हैं कि वह उन मुद्दों पर बनी फिल्मों में काम करना चाहती हैं जो समाज में बदलाव लाने में मदद करते हैं। इस फिल्म के जरिए तापसी कई पुरस्कारों के लिए दावा ठोक सकती हैं क्योंकि इसमें एक औरत की असली जिजीविशा को ढंग से जिया गया है। तापसी का किरदार बहुत स्ट्रॉंग है जिसे वह बॉडी लैंग्वेज के साथ एक्सप्रेशन से भी बखूबी निभाती हैं।
रिलीज से पहले ही तापसी पन्नू की फिल्म 'थप्पड़' को मिला तोहफा, मध्य प्रदेश में हुई टैक्स फ्री
ज्वलंत विषय
थप्पड़ को अनुभव सिन्हा जैसे मंजे हुए निर्देशक ने डायरेक्ट किया है। वो फिल्म के साथ वह एक मजबूत मुद्दा लेकर आए हैं। ये मुद्दा कहने को तो मुद्दा नहीं लेकिन हर घर में जरूर हो रहा है। ऐसी फिल्म हर घर में बनती है लेकिन क्लाईमेक्स ऐसा कहीं कहीं हो पाता है। जब पत्नी ही मार पिटाई और थप्पड़ को मामूली बात मान ले तो काजी क्या कर लेगा। लेकिन इस फिल्म के जरिए अनुभव ने औऱतों को सोचने का एक नया विकल्प दिया है। उन्हें बताया है कि ये कोई मामूली बात नहीं है, आत्मसम्मान की बात है। ये सच है कि आमतौर पर लोगों को लगता है एक थप्पड़ बस इतनी सी बात.. लेकिन नायिका उसे थप्पड़ नहीं मानती,वजूद पर हमला मानती है। विषय ऐसा है कि अगर लोग इसे गंभीरता से लें तो घरेलू हिंसा वाकई रोकी जा सकेगी। शोषण करने वाला वाला और शोषित होने वाला, दोनों किस्म के लोगों के लिए इसमें एक मजबूत संदेश है।
अनुभव सिन्हा
अनुभव सिन्हा अपनी फिल्मों के साथ एक सामाजिक मुद्दा लेकर आने को लेकर जाने जाते हैं। वह 'आर्टिकल 15', 'मुल्क' जैसी कई फिल्मों के लिए महत्वपूर्ण मुद्दे लेकर आते हैं। अनुभव सिन्हा और तापसी पन्नू 'मुल्क' में साथ में काम कर चुके हैं। इस फिल्म में अनुभव सिन्हा घरेलू हिंसा के मुद्दे को बड़ी बखूबी से दिखाते नजर आए हैं। अनुभव की खासियत यही है कि वो बेहद सादगी औऱ आसान तरीके से कड़वी से कड़वी गोली भी खिला देते हैं। उनकी एक्सपीरिएंस बोलता है, मुददे पर पकड़ दिखती है। पूरी फिल्म में डायरेक्शन की तूती बोलती है और अनुभव सिन्हा इसके लिए तारीफ के हकदार हैं।
'थप्पड़' का दूसरा ट्रेलर रिलीज, लेकिन तापसी पन्नू अपने ही ट्रेलर को रिपोर्ट करने को क्यों कह रही हैं?
घरेलू हिंसा को सामान्य मानने वाली महिलाएं
ये सबसे बड़ी वजह कही जा सकती है फिल्म देखने के लिए। ये फिल्म एक आई ओपनर साबित होगी उन औरतों के लिए जो शराबी पति के हाथों पिटती होंगी, गुस्से में उठे पति के चांटे सहती होंगी, बि्स्तर पर मनमानी सहती होंगी, उसके मूड स्विंग को सहती होंगी। इन औरतों में से अगर 50 फीसदी औऱतों ने भी ये फिल्म देख ली तो ये अपने उद्देश्य में कामयाब हो जाएगी। पति के हाथ उठाने पर 'कोई बात नहीं प्यार भी तो करता है' कहने वाली औऱतें वाकई इस फिल्म से काफी सीख ले पाएंगे। ।दूसरी तरफ उन मर्दों को भी ये फिल्म झझकोरने में कामयाब होगी जो बीवी के लिए ऐसी सोच रखते हैं।